How Is Brain Surgery Done ब्रेन से जुड़ी किसी बीमारी के इलाज में अगर सर्जरी करने की नौबत आ जाए तो मरीज की जान का जोखिम और बढ़ जाता है। दरअसल, ब्रेन की सर्जरी काफी रिस्क वाली मानी जाती है, इसलिए लोग इससे बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन अब साइंटिस्टों ने एक ऐसी सुरक्षित तकनीक विकसित की है जिससे बिना चीर-फाड़ किए यानी बिना सर्जरी के ही ब्रेन से खराब सर्किट को हटाया जा सकता है।
इससे डॉक्टर दिमाग में बिना चीरा लगाए ही न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का इलाज कर सकेंगे। यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी को ‘जर्नल ऑफ न्यूरो सर्जरी’ में प्रकाशित किया गया है। रिसर्चर्स को उम्मीद है कि उनके द्वारा विकसित इस नई तकनीक को अगर ऑपरेशन रूम में सफलतापूर्वक अपनाया जा सका, तो यह न्यूरो से जुड़ी कॉम्प्लेक्स डिजीजिस के इलाज में क्रांतिकारी उपलब्धि होगी। इससे मिर्गी और मूवमेंट डिसऑर्डर समेत कई अन्य बीमारियों का इलाज आसान हो जाएगा।
इस नई तकनीक में माइक्रोबबल्स के साथ कम तीव्रता वाले अल्ट्रासाउंड वेव का यूज किया गया है। ये थोड़े टाइम के लिए ब्रेन की नेचुरल सिक्योरिटी को भेदता है, जिससे कि न्यूरोटाक्सिन को लक्षित स्थान तक पहुंचाया जा सकता है। यह न्यूरोटाक्सिन खराब या बीमार ब्रेन सेल्स को मारता है। इस प्रोसेस में न तो हेल्दी सेल्स को और न ही ब्रेन स्ट्रक्चर को कोई नुकसान पहुंचता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया के न्यूरोसाइंस एंड न्यूरोसर्जरी विभाग के शोधकर्ता केविन एस ली के अनुसार, सर्जरी की इस नई रणनीति में न्यूरोलाजिकल रोगों के इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाले मौजूदा न्यूरोसर्जिकल प्रोसेस को बदलने की क्षमता है, खासकर उन मामलों में जब दवा का असर नहीं होता है। इस नए तरीके से स्कल यानी खोपड़ी की चीर-फाड़ किए बिना ही ब्रेन की बीमार कोशिकाओं को खत्म किया जा सकता है। इसमें आसपास की हेल्दी कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं होता है।
इस नई तकनीक को पीआइएनजी यानी पिंग नाम दिया गया है और लैब स्टडी में इसकी क्षमता और दक्षता प्रदर्शित की जा चुकी है। इसका इस्तेमाल मिर्गी के उन मामलों में किया जा सकता है, जिनमें मरीज को दवाओं का असर नहीं होता। रिसर्चर्स के मुताबिक, मिर्गी के लगभग एक तिहाई मरीजों में एंटी सीज्यूर ड्रग का असर नहीं होता है और उनमें से कुछेक में सर्जरी के जरिये सीज्यूर को कम या खत्म किया जाता सकता है।
इस तकनीक को विकसित करने में मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग की मदद ली गई, जिससे कि खोपड़ी के भीतर साउंड वेव को बिल्कुल सटीक तरीके से सही जगह पहुंचाने में मदद मिलती है और जहां जरूरी होती है, वहीं ब्लड-ब्रेन बैरियर की नेचुरल सिक्योरिटी को भेदना संभव हो पाता है। यह बैरियर इस तरह बना होता है, जो नुकसान पहुंचाने वाले सेल्स और मॉलीक्यूल्स को ब्रेन से बाहर रखता है।
(How Is Brain Surgery Done)
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