How much fat in packaged food आजकल के लाइफस्टाइल के में प्रोसेस्ड फूड का कल्चर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हमारा ये कहना काफी हद तक गलत नहीं होगा कि हमने खुद को इन प्रोसेस्ड फूड पर आश्रित कर लिया है। एक सच्चाई ये भी है कि बच्चों में मोटापा और बड़े होने पर उनमें गैर संक्रामक रोगों का रिस्क भी बढ़ गया है।
इसी वजह से पेरेंट्स की टेंशन भी कुछ बढ़ी है। यही कारण है कि एक राष्ट्रव्यापी सर्वे में 80 फीसदी पेरेंट्स ने कहा कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों यानी प्रोसेस्ड फूड के पैकेट पर फैट, नमक, चीनी आदि की जानकारी को स्पष्ट और प्रमुखता से लिखा जाना चाहिए।
(How much fat in packaged food)
यह सर्वे फूड अवेयरनेस के लिए काम करने वाले एक एनजीओ ईजीपीपी यानी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस, पॉलिसी एंड पॉलिटिक्स के द्वारा किया गया। जिसके नतीजे 15 अक्टूबर को जारी किए गए। सर्वे का एक नतीजा ये निकला है कि पेरेंट्स अब फैट, नमक और चीनी के अत्यधिक सेवन से हेल्थ को होने वाले नुकसान को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं।
वो इस बात को समझने लगे है कि डायबिटीज और हाई बीपी जैसी बीमारियों को बढ़ाने में प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स की बड़ी भूमिका है। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है कि क्योंकि देश में बिक रहे ज्यादातर पैकेटबंद फूड प्रोडक्ट्स में मौजूद विभिन्न तत्वों की मात्रा का उल्लेख नहीं होता है। और अगर पैकेट पर इसके बारे कुछ जानकारी दी भी होती है तो वो इतनी अस्पष्ट होती है कि आम कंज्यूमर उसे समझ नहीं पाते हैं।
(How much fat in packaged food)
साल 2017 में आई ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रत्येक वर्ष 17 लाख लोग हार्ट डिजीज की वजह से मरते हैं। इसके अलावा, भारत में समय से पहले होने वाली मृत्यु में 20 वर्ष में 59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
(How much fat in packaged food)
इस कारण से समय पूर्व होने वाली मौतों का आंकड़ा वर्ष 1990 में 2.32 करोड़ था, जो वर्ष 2010 में बढ़कर 3.7 करोड़ हो गया। इसके बावजूद, रोजाना के हमारे खाने में चीनी, नमक और अनसैचुरेटेड फैट (असंतृप्त वसा) की खपत का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। अरबों डॉलर के प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री द्वारा हमारी डाइट को कंट्रोल किया जा रहा है और इस तरह के अनहेल्दी फूड प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी पेरेंट्स मानते हैं कि फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि वे डिब्बाबंद फूड प्रोडक्ट्स पर चीनी, फैट और नमक के लेवल को आसानी से समझ आने वाले लेबल के जरिए प्रमुखता से प्रदर्शित करें।
सर्वे में लगभग 60 फीसदी माता-पिता ने इस बात पर चिंता जताई कि बाजार में पैकेज्ड जंक फूड प्रॉडक्ट की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनकी मार्केटिंग आक्रामक और अनियंत्रित तरीके से हो रही है।
सर्वे में 77 फीसदी ने यह माना कि नमक, चीनी और फैट जैसे हानिकारक तत्वों से संबंधित जानकारी प्रदर्शित करना अगर सरकार द्वारा अनिवार्य कर दिया जाए और उन्हें सरल और आसान तरीके से खाद्य उत्पादों पर प्रदर्शित किया जाए, तो लोग हेल्दी विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
सर्वे में शामिल 62 फीसदी से ज्यादा अभिभावक ज्यादा फैट, नमक और चीनी (एचएफएसएस) वाले डिब्बाबंद फूड प्रोडक्ट्स को हमेशा के लिए छोड़ने के लिए तैयार दिखे।
(How much fat in packaged food)
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