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Imposter Syndrome अपनी क्षमताओं पर संदेह करना भी हो सकता है बेहतर प्रदर्शन के लिए फायदेमंद

Sameer Saini • LAST UPDATED : November 20, 2021, 11:11 am IST

Imposter Syndrome अक्सर लोगों को आत्मविश्वास से भरपूर रहने का सुझाव दिया जाता है। मगर एक ताजा स्टडी की मानें तो अपनी क्षमता पर संदेह या शक करना इतना भी बुरा नहीं। इस नई स्टडी के मुताबिक इंपोस्टर सिंड्रोम वाले लोग जो खुद पर कम विश्वास रखते हैं, उनके पास बेहतर पारस्परिक कौशल होते हैं और यह उसे एक बेहतर कर्मचारी बन सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये इंपोस्टर सिंड्रोम क्या है?

दरअसल, अपनी क्षमताओं पर संदेह करने की स्थिति को ‘इंपोस्टर सिंड्रोम’ कहा जाता है। इंपोस्टर सिंड्रोम को चिंता और कम आत्म-मूल्य की भावनाओं से जोड़ा गया है, लेकिन हालिया स्टडी के मुताबिक यह वास्तव में आपको अपने काम में बेहतर बना सकता है। इम्पोस्टर सिंड्रोम से ग्रस्त लोग दरअसल यह मानते हैं कि वे जीवन में मिली अपनी सफलता के योग्य नहीं है,

उन्हें यह अपने प्रयासों या उनकी खुद की क्षमताओं व कौशल से नहीं मिली है, बल्कि उन्हें यह भाग्य के कारण मिली है। सिंड्रोम से पीड़ित लोग खुद को ‘धोखेबाज’ समझने की प्रवृत्ति रखते हैं और वे डरते हैं कि किसी भी क्षण बाकी सभी को भी इसका एहसास हो जाएगा। कैम्ब्रिज में एमआईटी स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की एक मनोवैज्ञानिक बासिमा ट्वीफिक द्वारा की गई ये स्टडी एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट जर्नल में प्रकाशित हुई है।

क्या कहते हैं जानकार (Imposter Syndrome)

स्टडी के बारे में बासिमा ट्वीफिक ने बताया कि आमतौर पर इंपोस्टर सिंड्रोम को नुकसानदेह माना जाता है। मगर स्टडी में इस सिंड्रोम पर हुई बातचीत के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस सिंड्रोम के कई पारस्परिक फायदे भी हो सकते हैं। ट्वीफिक ने इम्पोस्टर सिंड्रोम को ‘सिल्वर लाइनिंग’ कहा है, जो वास्तव में कुछ मामलों में सफलता में योगदान देता है। (Imposter Syndrome)

कैसे हुई स्टडी (Imposter Syndrome)

स्टडी के लिए बासिमा ट्वीफिक ने अमेरिका में एक निवेश सलाहकार फर्म में 155 कर्मचारियों के बीच इस सिंड्रोम के स्तर को मापा। स्टडी के दौरान प्रतिभागी लिखित बयान के साथ आए और कहा कि वर्कप्लेस पर दूसरे लोगों को लगता है कि मेरे पास उससे अधिक जानकारी और क्षमताएं हैं, जितना मुझे खुद लगता है। इस दौरान उनसे यह भी पूछा गया कि ये विचार उनके लिए किस हद तक सही हैं? इसके बाद ट्वीफिक ने प्रत्येक प्रतिभागी के सुपरवाइजर से बातचीत की और उनसे पूछा कि क्या उन्होंने अपने कर्मचारी को इससे अलग तरह से देखा है?

पर्यवेक्षकों ने प्रतिभागियों के प्रदर्शन और पारस्परिक कौशल की रेटिंग के आधार पर मूल्यांकन किया और कहा कि सिंड्रोम वाले कर्मचारी कामकाज में बेहतर होते हैं। ट्वीफिक ने पाया कि इम्पोस्टर सिंड्रोम वाले कर्मचारियों ने अधिक आत्मविश्वासी साथियों की तुलना में बेहतर पारस्परिक कौशल में अधिक स्कोर हासिल किया। वर्कप्लेस पर वे अधिक सक्षम पाए गए। (Imposter Syndrome)

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