India News (इंडिया न्यूज),kalonji ke fayede: आयुर्वेद में कलौंजी के बारे में कहा गया है कि “कलियुग में धरती पर कलौंजी संजीवनी है”। यह अनगिनत बीमारियों को चुटकियों में ठीक कर देती है। आयुर्वेद ग्रंथों के अलावा मुसलमानों की पवित्र पुस्तक हदीस में भी इसका जिक्र है कि “मौत को छोड़कर हर बीमारी का इलाज है कलौंजी”। इतना ही नहीं, सभी धर्मों के पवित्र ग्रंथों में इसका जिक्र है।

कैसे करें इस्तेमाल

  • कलौंजी एक ऐसा पौधा है जिसके बीज होते हैं और बीजों का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है। इसलिए कलौंजी के बीजों को बारीक पीसकर सिरका, शहद या पानी में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है।
  • कलौंजी के बीजों का तेल भी बनाया जाता है जो बीमारियों के लिए बहुत कारगर है। अगर इसका तेल उपलब्ध न हो तो कलौंजी के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • कलौंजी के तेल में एक अलग तरह का वसा अंश होता है। इसमें 60 प्रतिशत लिनोलिक अंश और लगभग 11 प्रतिशत पाश्मेहिक अंश पाया जाता है। इसलिए इसमें 40 या उससे अधिक मुक्त अम्ल हो सकते हैं। यह कार्बनिक तेल को आसानी से पानी में बदल देता है। ज्यादातर कलौंजी के बीजों का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है। इसके बीजों में सैपोनिन नामक पदार्थ होता है। इसके बीजों में निजेलिन नामक कड़वा पदार्थ भी होता है। कलौंजी के बीज पेशाब करने, वीर्य की कमी को ठीक करने और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक होते हैं।
  • कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करता है और रक्त वाहिकाओं को साफ करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद दूषित और अनावश्यक द्रव को भी बाहर निकालता है। सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले कलौंजी के तेल का सेवन करने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। गर्भावस्था के दौरान महिला को कलौंजी के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।

कलौंजी का तेल बनाने की विधि

250 ग्राम कलौंजी को पीसकर ढाई लीटर पानी में उबालें। जब उबलते-उबलते एक लीटर पानी रह जाए तो इसे ठंडा कर लें। कलौंजी को पानी में गर्म करने पर इसका तेल निकलकर पानी पर तैरने लगता है। इस तेल पर हाथ रगड़ें और इसे किसी कटोरी में तब तक पोंछें जब तक पानी पर तैरता हुआ तेल गायब न हो जाए। फिर इस तेल को छानकर बोतल में भर लें और दवा के रूप में इस्तेमाल करें।

वैज्ञानिक शोध के अनुसार कलौंजी

कलौंजी के रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि इसके बीजों में 31 प्रतिशत लाल और भूरे रंग का स्थिर तेल होता है। इसमें 0.5 से 1.6 प्रतिशत पीला भूरा वाष्पशील तेल होता है। वाष्पशील तेल में 45 से 60 प्रतिशत की मात्रा में कार्बन होता है। इसमें डेलिमोनिन और साइमिन तत्व होते हैं। इनके अलावा इसमें ब्रोन्कियल डाइलेटर, निगेलन, शुगर, टॉक्सिक ग्लूकोसाइड, चिपचिपा ऑर्गेनिक एसिड आदि भी होते हैं।

मौत को छोड़कर हर बीमारी का इलाज है कलौंजी” पवित्र किताब हदीस में लिखा है। इसमें कई बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है। कलौंजी गंजेपन को भी ठीक करती है। वैसे तो यह कई बीमारियों में अच्छा असर दिखाती है, लेकिन आज हम आपको एलआयुर्वेदिक के जरिए कलौंजी के 90 अद्भुत फायदों के बारे में बता रहे हैं, आइए जानते हैं।

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इसका सेवन कैसे करें?

  • कलौंजी के बीजों का सेवन सीधे तौर पर किया जा सकता है।
  • एक चम्मच कलौंजी को शहद में मिलाकर सेवन करें।
  • कलौंजी को पानी में उबालें, छान लें और पी लें।
  • दूध में कलौंजी को उबालें। इसे ठंडा होने दें और फिर इस मिश्रण को पी लें।
  • कलौंजी को पीसकर पानी और दूध के साथ सेवन करें।
  • ब्रेड, पनीर और पेस्ट्री पर कलौंजी छिड़कें और इसका सेवन करें।

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