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Kya Sharaab Peene Hai Sahi क्‍या सिगरेट-शराब पीने से कम होता है दुख-दर्द और तनाव, जानिए हकीकत

Kya Sharaab Peene Hai Sahi  भारत में नशे के सेवन को हमेशा से ही खराब माना गया है। फिर चाहे वह सिगरेट, शराब हो या अफीम, गांजा, तंबाकू और पान मसाला आदि हो। हालांकि फिल्‍मों में दिखाए जाने वाले दृश्‍यों में अल्कोहल और सिगरेट को न केवल ग्‍लोरिफाई किया जाता है बल्कि यह भी दिखाया जाता है कि परेशान व्‍यक्ति इन चीजों का सेवन करता है और फिर वह सबसे ज्‍यादा प्रोडक्टिव, साहसी और निडर होकर उभरता है और परेशानियों को झट से सुलझा लेता है।

क्‍या ऐसा सच में होता है? क्‍या वास्‍तव में सिगरेट और शराब के सेवन से दुख-दर्द औेर तनाव कम होने के साथ ही काम करने की क्षमता बढ़ जाती है या फिर इसके उलट खराब असर पड़ता है। इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि सिनेमा का आम लोगों के जीवन पर काफी असर पड़ता है क्‍योंकि लोग खुद को उन सिनेमाई कलाकारों के दुखों या दृश्‍यों से जोड़ लेते हैं और सोचते हैं कि जो तरीका ये अपना रहे हैं अगर हम भी अपनाएं तो राहत मिलेगी।

यहीं से नशा ही नहीं अन्‍य चीजों का फॉलोअप शुरू हो जाता है। नशे की चीजों से लोगों का दुख कम होगा या बढ़ेगा यह नशे के असर पर निर्भर करता है। फिल्‍मों या सीरियलों में आमतौर पर शराब और सिगरेट दो चीजों का इस्‍तेमाल सबसे ज्‍यादा दिखाया जाता है।

अल्कोहल या शराब का होता है असर (Kya Sharaab Peene Hai Sahi)

जब व्‍यक्ति परेशान होता है तो उसका ब्रेन काफी सतर्क रहता है। उस वक्‍त वह ओवर एक्टिव भी हो जाता है। रेस्‍टलेस फील करता है और उसकी एंग्‍जाइटी बढ़ जाती है। चूंकि ये चीजें प्राकृतिक होती हैं ऐसे में अगर व्‍यक्ति इस अवधि में नेचुरल तरीके से रहता है तो ये परेशानियां धीरे-धीरे कम होती हैं और ब्रेन अपने आप उसे मॉडरेट करता है लेकिन अगर उस स्थिति में व्‍यक्ति एल्‍कोहल या शराब लेता है तो यह ब्रेन को या ब्रेन की नसों को डिप्रेस करता है।

ऐसे में कॉन्‍शसनेस या चेतनका स्‍तर काफी कम हो जाता है। उस स्थिति में भावनाओं का गुबार भी थम जाता है। जिसका परिणाम यह होता है कि व्‍यक्ति पुरानी स्थिति से कट जाता है। उसका दर्द या दुख काफी कम हो जाता है और व्‍यक्ति को काफी राहत और अच्‍छा महसूस होता है।

अल्कोहल के आदी होने के बाद ये होती है स्थिति (Kya Sharaab Peene Hai Sahi)

अल्कोहल लेने के बाद दुख-दर्द में तो तत्‍काल राहत मिलती है लेकिन जैसे ही अल्कोहल का असर कम होता है तो परेशानियां बढ़ना शुरू हो जाती हैं। इसके बाद व्‍यक्ति लगातार शराब का सेवन करना शुरू करता है और पहले वाली शराब की मात्रा का शरीर आदी होने लगता है तो उसकी मात्रा निरंतर बढ़ती जाती है।

इसके बाद व्‍यक्ति के शरीर पर न्‍यूरोटॉक्सिक इफैक्‍ट होने लगता है और शराब शरीर की नसों को नुकसान पहुंचाने लगती है। लिहाजा व्यक्ति पहले से भी ज्‍यादा परेशान और दुखी महसूस करने लगता है। इसके अलावा एक और चीज होती है। बहुत ज्‍यादा शराब लेने के बाद व्‍यक्ति का खुद से नियंत्रण और नेचुरल सोशल इमिटेशन खत्‍म हो जाता है।

ऐसे में जब वह किसी से भी बात करता है तो एकदम खुलकर बात करता है। जो उसके अंदर होता है लगभग वही बाहर आता है लेकिन ये चीजें शराब का नशा उतरने के बाद परेशानी खड़ी कर देती हैं। इससे व्‍यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता पर भी फर्क पड़ता है। आमतौर पर देखा होगा कि जब कोई बहुत साहसिक या खराब काम करना होता है तो लोग अल्कोहल लेकर करते हैं, ऐसा इसलिए कि उनकी निर्णय लेने, अच्‍छा-बुरा समझने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है और वे काम को कर जाते हैं।

सिगरेट का होता है ये असर (Kya Sharaab Peene Hai Sahi)

फिल्‍मों में अक्‍सर सिगरेट के इस्‍तेमाल को भी प्रमुखता से दिखाया जाता है। बहुत अधिक एग्रेसिव, फोकस्‍ड और प्रोडक्टिव दिखाने के लिए ऐसा होता है। जब भी व्‍यक्ति निकोटिन लेता है तो वह ब्रेन को एस्‍क्‍यूमिलेट करता है यानि कि अधिक सतर्क या सक्रिय कर देता है। हालांकि ब्रेन की यह सक्रियता भी अस्‍थाई है।

ऐसे में जब इसका असर कम होता है तो फिर दिमाग पहले से भी ज्‍यादा सुन्‍न स्थिति में पहुंच जाता है। यही वजह है कि व्‍यक्ति थोड़ी सी भी परेशानी आने पर लगातार सिगरेट पीता है।

एल्‍कोहल और सिगरेट का कॉम्बिनेशन खराब (Kya Sharaab Peene Hai Sahi)

फिल्‍मों में एक और चीज दिखाई जाती है कि परेशान आदमी शराब भी पी रहा है और साथ में सिगरेट भी पी रहा है। यह सबसे खराब चीज होती है। न केवल साइकलॉजिकली बल्कि बायोलॉजिकली भी इसका असर दोनों के अलग-अलग सेवन के मुकाबले खतरनाक होता है।

शराब व्‍यक्ति के ब्रेन को डिप्रेस कर रहा है वहीं सिगरेट उसे लगातार अलर्ट करता है। ऐसे में दोनों एक दूसरे के खिलाफ काम करते हैं। नतीजतन यह गठजोड़ हमारे फेफड़ों और नर्वस सिस्‍टम को ज्‍यादा प्रभावित करता है।

चाय के साथ सिगरेट का ऐसा रहता है असर (Kya Sharaab Peene Hai Sahi)

जहां तक चाय के साथ सिगरेट पीने की बात है तो ये दोनों चीजें एक ही दिशा में काम करती हैं। जहां निकोटिन ब्रेन को अलर्ट करता है वहीं चाय में भी निकोटिन ही होता है। वहीं पान-मसाला या तंबाकू भी इसी तरह का असर करते हैं लेकिन शराब एकदम अलग तरीके से काम करती है।

ऐसे में चाय के साथ सिगरेट नुकसानदायक तो है लेकिन शराब की तुलना में कम है। सिर्फ मनोवैज्ञानिक रूप से ही नहीं बल्कि बायोलॉजिकली भी किसी भी नशे का शरीर पर काफी खराब असर पड़ता है। फिर चाहे वह शराब हो, सिगरेट हो, तंबाकू, गांजा या अफीम कुछ भी हो।

(Kya Sharaab Peene Hai Sahi)

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Mukta

Sub-Editor at India News, 7 years work experience in punjab kesari as a sub editor, I love my work and like to work honestly

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