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मंकीपॉक्स के तेजी से फैलते संक्रमण के चलते भारत भी अलर्ट

India News Desk • LAST UPDATED : May 24, 2022, 1:44 pm IST
  • मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटने वाले लोगों पर नजर रखने के निर्देश, भारत में अभी नहीं कोई केस 

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, Monkeypox Update: वैश्विक महामारी कोविड-19 के कम होते खतरे के बीच मंकीपाक्स के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बंदरगाहों और हवाई अड्डा अधिकारियों को मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा कर भारत वापस आने वाले यात्रियों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। इसी के साथ सरकार ने इंडियन काउंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) को भी अलर्ट जारी किया है।

बीमार यात्री को करें आइसोलेट, मुंबई में 28 बेड के वार्ड का इंतजाम

केंद्र सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से लौटने वाला कोई भी व्यक्ति अगर बीमार पाया जाता है तो उसे बिना समय गंवाए आइसोलेट करें और नमूने जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ वायरोलॉजी को भेजें। उधर महाराष्ट्र सरकार भी मंकीपाक्स को लेकर सतर्कता बरत रही है। राजधानी मुंबई के नगर निकाय ने शहर के कस्तूरबा अस्पताल में संदिग्ध मरीजों के लिए 28 बेड वाला एक वार्ड तैयार करवा दिया है। बुहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के जन स्वास्थ्य विभाग ने यज जानकारी दी है।

जानिए क्या हैं मंकीपाक्स के लक्षण

डब्ल्यूूएचओ के अनुसार इस रोग के लक्षण संक्रमण के पांचवें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। शुरु में इसके लक्षण फ्लू की तरह होते हैं। मरीज में बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सामान्य रूप से सुस्ती के लक्षण दिखते हैं। बुखार के समय अत्यधिक खुजली वाले दाने विकसित हो सकते हैं, जो अक्सर चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से हो सकता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी मंकीपाक्स हो सकता है।

बीमारी का अब तक नहीं है कोई ईलाज

अभी तक मंकीपॉक्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं हुआ है। हालांकि, स्मॉलपॉक्स वैक्सीन, एंटीवायरल्स और वीआईजी का उपयोग प्रकोप को रोकने के लिए किया जाता है। ऐसे जानवरों के संपर्क से बचें, जो वायरस को फैलाने वाले होते हैं। बीमार जानवरों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट संपर्क से बचें। जो लोग संक्रमित हो जाते हैं, उन्हें स्वस्थ लोगों से दूर रखें यानी उन्हें आइसोलेशन में रखें। हाथों की सफाई पर खास ध्यान देने की जरूरत है।

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