हेल्थ

नवजात बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली मां ये सावधानियां बरतें ?

इंडिया न्यूज (Newborn Baby Care Tips)
छोटे बच्चों की देखरेख करना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि नवजात बच्चे अपनी परेशानी तो बता नहीं पाते हैं और न ही माता पिता उनकी परेशानी समझ पाते हैं, कि बच्चे को कब भूख लगी, कब शरीर में क्या तकलीफ है। वहीं सोते हुए बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के लिए कैसे जगाया जाए ये माता पिता के सबसे ज्यादा मुश्किल काम होता है।

कई बार मां बच्चे को गहरी नींद में सोता देखा, उन्हें सोने के लिए छोड़ देती हैं और जागने के बाद दूध पिलाने के बारे में सोचती है लेकिन ऐसा करने से नवजात का स्वास्थ्य खराब हो सकता है इसलिए आप उन्हें नींद से जाकर फीडिंग जरूर करवानी चाहिए। इसके लिए आप कई तरीके अपना सकते हैं। तो चलिए जानते हैं ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़ी कई बातें।

बच्चे को पहली बार मां का दूध कब पिलाना चाहिए?

जब पहली बार बच्चे को मां गोद में ले, तभी दूध पिलाने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चे को जन्म देने के बाद मां के शरीर में खास दूध बनता है, जिसे कोलोसट्रम कहते हैं। कहते हैं कि मां का दूध बच्चे को कई तरह के इंफेक्शन से सुरक्षित रखता है।

बच्चे को दिन में कितनी बार दूध पिलाना चाहिए?

बच्चे को बार-बार दूध पिलाने से मां के ब्रेस्ट में दूध बनने लगता है। नवजात को एक दिन में 8 से 12 बार दूध पिलाया जा सकता है। भूख लगने पर बच्चा संकेत देता, जिसे मां को समझना होगा। वो भूख लगते ही अपने हाथ-पैर हिलाने लगेगा, मुंह खोलने लगेगा। ज्यादा भूख लगते ही बच्चा तेज रोने लगता है।

ये सावधानियां जरूरी हैं?

अगर मां नींद में है तो बच्चे को लेटकर दूध पिलाने से बचें। दूध पिलाते समय अगर परेशानी आ रही है तो पेशेंस रखें। ब्रेस्ट फीडिंग कराने में एक मां प्रैक्टिस से परफेक्ट बन सकती है।

इन चीजों का करें परहेज?

  • खानपान अगर हेल्दी नहीं होगा, तो आपके दूध को भी नुकसान करेगा। जर्नल पीडियाट्रिक्स में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, कैफीन मां के शरीर से होते हुए उसके ब्रेस्ट मिल्क तक पहुंच सकता है। जब बच्चा दूध पीता है, उसका पेट कैफीन को पचा नहीं पाता है।
  • इस उम्र में बच्चे के पेट में उतना गैस्ट्रिक जूस नहीं बनता, जितना बड़ों के पेट में। चॉकलेट,चाय, कोल्ड ड्रिंक, सोडा पीना हेल्दी नहीं है। ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को अल्कोहल से परहेज करना चाहिए। ब्रेस्ट फीडिंग करवाते समय मछली खा सकते हैं, लेकिन कुछ सीफूड जिसमें मर्करी की मात्रा अधिक होती है, उसे नहीं खाना चाहिए, जैसे ट्यूना, सोर्डफिश, मार्लिन, लॉब्स्टर।

दूध पिलाने वाली मां की डाइट कैसी होनी चाहिए?

  • सुबह से रात तक मां की डाइट में तीन मेजर मील और 3 स्नैक्स होने चाहिए। ह्यूमन मिल्क में 90 फीसदी पानी होता है, जितना पानी मां पिएंगी, मिल्क की सप्लाई अच्छी रहेगी। हरी पत्तेदार सब्जियां खाने से आयरन मां में बने रहेंगे, एनिमिया की समस्या नहीं होगी और यह सब दूध के जरिए बच्चे को मिलेगा। हाई प्रोटीन डाइट से एनर्जी बनी रहेगी, मां को सुस्ती नहीं होगी, बच्चा भी हेल्दी रहेगा। दलिया, साबूदाना, मसूर दाल, ये सब दूध की क्वांटिटी और क्वालिटी बढ़ाते हैं, इसे रोज खाएं।
  • ब्रेस्ट फीड करवाने वाली महिलाओं को डेयरी प्रोडक्ट से दूर रहना चाहिए। इससे पेट फूलने और गैस की समस्या होती है। इसलिए दही खाएं। दही, प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होती है। साथ ही इसमें प्रोबायोटिक प्रॉपर्टी भी होती हैं, जिससे ब्रेस्ट फीडिंग कराने के दौरान पाचन बेहतर रहता है।

जन्म के दो-तीन माह बच्चे क्यों रहते हैं परेशान?

जन्म के बाद दो-तीन महीने तक बच्चे कोलिक यानी उदरशूल से परेशान रहते हैं। कई बार नवजात लगातार रोते रहते हैं, इससे उनके पेट में दर्द होता है, इसे शूल यानी कोलिक कहते हैं। अगर कोई मां हेल्दी और सही तरीके से बच्चे को ब्रेस्ट फीड करा रही है। इसके बावजूद बच्चा 3 घंटे से ज्यादा रो रहा है तो समझें उसे कोलिक हो सकता है।

कैसे तैयार करे मां खुद को?

  • मां को ऐसी कोई चीज नहीं खानी चाहिए, जिससे एसिडिटी की दिक्कत हो। गोभी, ब्रोकली, पत्ता गोभी, जैसी चीजें, जिससे गैस बनेगी उसे न खाएं। तेज मिर्च-मसाले वाले खाने से परहेज करें। दूध पिलाने के बाद बच्चे को सही तरह से डकार आए इसका ध्यान रखें। बच्चे को थोड़ी देर में दूध पिलाएं ताकि दूध पच जाए।
  • कहते हैं कि छह माह तक के बच्चों को पूरी तरह से ब्रेस्ट फीड कराना चाहिए। यानी उसे मां का दूध ही पिलाएं। छह महीने तक बच्चे की खुराक पूरी तरह से मां के दूध पर डिपेंड करती है इसलिए मांओं को अपने खानपान पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। दो साल तक के बच्चों को बाहर के दूध के साथ ब्रेस्ड फीड करवाना चाहिए।

डाइट में ये चीजें करें शामिल?

डाइट हेल्दी रखें, पत्तेदार सब्जियां लें, प्रोटीन रिच फूड लें। डॉक्टर की सलाह के बिना एक्स्ट्रा कैलोरी खाने में न लें। खूब सारा पानी पिएं, कॉफी, कोल्ड और एनर्जी ड्रिंक से दूर रहें। बच्चे को रेगुलर ब्रेस्ट फीड करें, टॉप फीड बिल्कुल न दें। ब्रेस्ट फीड के करवाते वक्त स्ट्रेस ज्यादा होता है, इससे बचें।
आराम जरूरी है क्योंकि सारे के सारे ब्रेस्ट फीडिंग हॉर्मोन ब्रेन से रिलीज होते हैं। कोई भी दवाई बिना डॉक्टर से पूछे न लें।

मांएं इन बातों पर दें ध्यान?

  • मां गोद में लेकर बच्चों को दूध पिलाया। शुरूआती दिनों में मां लेट बैक पोजीशन यानी पेट को टेक देकर बैठ सकते हैं। इस पोजीशन को 40 डिग्री तक ही रखें। बच्चे का पेट मां के पेट तक जुड़ा होना चाहिए। बच्चे का सिर मां के सीने से जुड़ा होना चाहिए।
  • एक हाथ से बच्चे का मुंह निप्पल के पास लाएं। दूसरे हाथ से अपनी बे्रस्ट को सपोर्ट दें। इस बात का ध्यान दें कि बच्चे का मुंह केवल निप्पल में ही नहीं बल्कि एरियोल (स्तन का काला भाग) को भी नार्मल रखें। बच्चों को पकड़ने में मां को ज्यादा मेहनत नहीं करनी चाहिए।

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Suman Tiwari

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