India News (इंडिया न्यूज), Nipah Virus and Mpox: केरल में निपाह वायरस की चपेट में आने से एक मरीज की मौत हो गई। यह इस साल निपाह से इस साल दूसरी बार घातक है। रेजिडेंट कॉलेज मलप्पुरम का रहने वाला था। इस मृत्यु के बाद प्रशासन द्वारा मृत व्यक्ति के संपर्क में आने वाले अन्य मृतक की भी जांच की जा रही है। व्यक्ति के संपर्क में 151 लोगों की ट्रेसिंग की जा रही है। इनमें से पांच को निजीकरण में रखा गया है। निपाह से इस मौत के बाद केरल सरकार की अपील है। इस बीच देश में मंकीपॉक्स वायरस का भी खतरा है। दिल्ली में एक मरीज में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है, हालांकि अभी तक केरल में मंकीपॉक्स का इस साल कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन इस वायरस के मामले बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये दोनों ही वायरस खतरनाक हो सकते हैं। निपाह वायरस की बात करें तो इसकी पहचान सबसे पहले 1998 में मलेशिया में हुई थी। उस समय ये बीमारी सूअरों से इंसानों में आई थी। इसके बाद पता चला कि ये वायरस चमगादड़ से इंसानों में फैला है। कुछ लोगों ने चमगादड़ के चखे हुए फल खा लिए। इसके बाद वो निपाह से संक्रमित हो गए। निपाह फैलाने वाले चमगादड़ को फ्रूट बैट कहते हैं। इस वायरस का कोई इलाज नहीं है। अगर इसे सही समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो ये सीधे दिमाग और नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। ऐसे में मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
मंकीपॉक्स वायरस बंदरों से इंसानों में फैला। फिर एक इंसान से दूसरे इंसान में इसका संक्रमण होने लगा। यह वायरस शारीरिक संबंध बनाने और संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलता है। हालांकि अब मंकीपॉक्स की वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है, लेकिन इस वायरस का खतरा अभी भी बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मंकीपॉक्स को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। दुनिया के कई देशों में भी मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं। अफ्रीका में इस वायरस के 40 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि भारत में अभी तक सिर्फ एक मामले की पुष्टि हुई है, लेकिन प्रशासन अलर्ट पर है और तमाम एहतियात बरते जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि केरल में पिछले कुछ सालों से निपाह वायरस के मामले आ रहे हैं। वहां मामले आते तो हैं, लेकिन वे इस स्तर तक नहीं बढ़ते कि कोई खतरा हो। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। अगर मंकीपॉक्स की बात करें तो भारत में इसका सिर्फ एक मामला आया है। उस मरीज में भी पुराना स्ट्रेन मिला था। पूरी दुनिया में फैल रहा स्ट्रेन अभी भारत में नहीं है। ऐसे में फिलहाल इन दोनों वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इनसे बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी है। खासकर एयरपोर्ट पर निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए और अगर किसी मरीज में इन वायरस के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे आइसोलेट किया जाना चाहिए।
निपाह के लक्षण क्या होते हैं
मंकीपॉक्स के लक्षण
दोनों वायरस से बचने के लिए यह जरूरी है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं। उन इलाकों में जाने से बचें जहाँ इन वायरस के मामले सामने आए हैं।
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