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अब अपने चश्‍मे को करें बाय बाय! एक आई ड्रॉप डालने से 15 मिनट में हट जाएंगे स्‍पेक्‍स

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : September 4, 2024, 2:18 am IST
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अब अपने चश्‍मे को करें बाय बाय! एक आई ड्रॉप डालने से 15 मिनट में हट जाएंगे स्‍पेक्‍स

Eye Drop to get back eye sight

India News (इंडिया न्यूज), Eye Drop to get back eye sight: क्या आप भी अक्सर अपनी कमजोर नजर के कारण टीवी देखते या अखबार पढ़ते समय बिना चश्मे के खुद को असहाय महसूस करते हैं? तो यह खबर आपके लिए है। अब एक आई ड्रॉप डालने से 15 मिनट के भीतर आपकी आंखों की रोशनी अस्थायी रूप से वापस आ जाएगी। दो साल से अधिक समय के विचार-विमर्श के बाद, ड्रग रेगुलेटर यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने पढ़ने के चश्मे की जरूरत को खत्म करने के लिए भारत की पहली आई ड्रॉप को मंजूरी दे दी है। मुंबई स्थित एन्टोड फार्मास्युटिकल्स ने मंगलवार को पिलोकार्पाइन का उपयोग करके बनाई गई “प्रेस्वू” आई ड्रॉप लॉन्च की।

यह दवा आंख की पुतलियों के आकार को कम करके ‘प्रेसबायोपिया’ का इलाज करती है। इस तरह यह किसी भी चीज को करीब से देखने में मदद करती है। प्रेसबायोपिया की स्थिति उम्र से संबंधित है और यह आंखों की पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी पर काम करती है।

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6 घंटे में आंखों की रोशनी में सुधार

एक इंटरव्यू में एन्टोड फार्मास्युटिकल्स के सीईओ निखिल के मसुरकर ने कहा कि दवा की एक बूंद सिर्फ 15 मिनट में काम करना शुरू कर देती है और इसका असर अगले छह घंटे तक रहता है। यदि पहली बूंद के तीन से छह घंटे के भीतर दूसरी बूंद भी डाली जाए, तो इसका असर और भी लंबे समय तक रहेगा। उन्होंने कहा, “अब तक, पढ़ने के चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या कुछ सर्जिकल हस्तक्षेपों को छोड़कर धुंधली, निकट दृष्टि के लिए कोई दवा-आधारित समाधान नहीं था।”

कितने में उपलब्ध होगा ये ड्राप?

एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स नेत्र, ईएनटी और त्वचाविज्ञान दवाओं में माहिर है और 60 से अधिक देशों को निर्यात करता है। अक्टूबर के पहले सप्ताह से, प्रिस्क्रिप्शन-आधारित बूंदें 350 रुपये की कीमत पर फार्मेसियों में उपलब्ध होंगी। यह दवा 40 से 55 वर्ष की आयु के लोगों के लिए हल्के से मध्यम प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए संकेतित है। मसुरकर का दावा है कि यह दवा भारत में अपनी तरह की पहली दवा है जिसका परीक्षण भारतीय आंखों पर किया गया है और भारतीय आबादी के आनुवंशिक आधार के अनुसार अनुकूलित किया गया है।

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