Parasite Helpful in Cancer Treatment : कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों और गर्भवती महिलाओं की खराब सेहत के लिए जिम्मेदार एक घातक परजीवी कैंसर और कई तरह के ट्यूमर (जो कैंसर का कारण बन सकते हैं) के इलाज में मददगार साबित हो सकता है। इस नई स्टडी के निष्कर्ष को ‘जर्नल फॉर इम्यूनोथेरेपी कैंसर’ में प्रकाशित किया गया है। यूके की नॉटिंघम यूनिवर्सिटी और चीन की निंगबो यूनिवर्सिटी और शांक्सी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से इस स्टडी को अंजाम दिया है।
रिसर्चर्स का कहना है कि एक घातक परजीवी कुछ प्रकार के ट्यूमर के खिलाफ इलाज के इफैक्टिवनेस यानी प्रभावशीलता में सुधार करता है। साथ ही यह कुछ तरह के कैंसर को खत्म करने व ट्यूमर को बढ़ने से रोकने और मरीजों की आयु में इजाफा करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस नई स्टडी में रिसर्चर्स ने खुलासा किया कि दुनियाभर में पाया जाने वाला यह सामान्य परजीवी कोल्ड ट्यूमर को संवेदनशील बना देता है। इस प्रकार का ट्यूमर शरीर की मजबूत इम्यूनिटी के काम को बाधित करता है, इससे इम्यून चेकप्वाइंट ब्लॉकेड थेरेपी प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ये स्टडी विभिन्न प्रकार के कैंसर के इलाज में काम आ सकता है।
तीनों यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स के मुताबिक टोक्सोप्लाज्मा गोंडी परजीवी कैंसर के इलाज में मददगार है। यह एक प्रकार का एक कोशिकीय प्रोटोजोआ है, जो गर्म खून वाले प्राणियों को संक्रमित करता है। एक अनुमान के अनुसार, यह प्रोटोजोआ दुनियाभर में लगभग एक तिहाई इंसानी आबादी में पाया जाता है।
इस स्टडी के तहत रिसर्चर्स ने सबसे पहले टोक्सोप्लाज्मा गोंडी का सीमित विकास क्षमता वाला एक म्यूटेटेड (उत्परिवर्तित) स्ट्रेन बनाया। यह प्रयोग कोशिकीय कल्चर (सेल कल्चर) तथा चूहों पर किया गया। यह स्ट्रेन मेजबान के प्रतिरक्षा तंत्र में बदलाव करने में सक्षम था। उपचार में प्रयोग करने के लिए शोधकर्ताओं ने म्यूटेटेड परजीवी को इंजेक्शन के जरिये सीधे ट्यूमर तक पहुंचाया। इससे ठोस ट्यूमर में इंफ्लेमेट्री प्रतिक्रिया तो हुई ही, साथ ही चूहों के शरीर में स्थित ट्यूमरों पर भी असर देखा गया। उन्होंने यह भी पाया कि इस प्रक्रिया में ट्यूमर का इलाज ज्यादा प्रभावी रहा। साथ ही इम्यून चेकप्वाइंट इन्हीबिटर पर भी सकारात्मक असर रहा। वहीं कैंसर के ट्यूमरों का विकास कम हुआ तथा उनका जीवनकाल भी बढ़ा।
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन एंड साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर और शोध की प्रमुख लेखक डॉक्टर हनी एल्शेखा ने कहा कि टोक्सोप्लाज्मा गोंडी का म्यूटेंट चूहों के मॉडलों में कुछ खास प्रकार के ट्यूमरों के इलाज में इस्तेमाल किए जाने की बात पहले भी हुई, लेकिन इस ताजा प्रयोग से ट्यूमर के भीतर इंजेक्शन के जरिये पहुंचाए गए इस स्ट्रेन से एंटी ट्यूमर इम्युनिटी मजबूत हुआ और चेकप्वाइंट इन्हीबिशन थेरेपी में भी प्रभावी पाया गया।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें।
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