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Pneumonia and covid गंभीर कोविड मरीजों को जल्‍दी चपेट में ले रहा निमोनिया

Pneumonia and covid सर्दी का मौसम शुरू होते ही सांस संबंधी रोगों के अलावा फेफड़ो को प्रभावित करने वाली बीमारियां ज्‍यादा पनपती हैं। यही वजह है कि इस बार भी दिल्‍ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि लगभग सभी जगहों पर अस्‍पतालों में निमोनिया के मरीजों की संख्‍या बढ़ रही है। इनमें एक से पांच साल के बच्‍चों के अलावा बड़ों में भी ये बीमारी तेजी से बढ़ रही है।

हालांकि स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल आई कोविड महामारी के बाद से मरीजों में गंभीर निमोनिया की शिकायत ज्‍यादा सामने आ रही है। दिल्‍ली-एनसीआर में निमोनिया के बढ़ते मरीजों के मामले पर इंडियन चेस्‍ट सोसायटी के सदस्‍य और दिल्‍ली के जाने माने पल्‍मोनोलॉजिस्‍ट व एलर्जिस्‍ट डॉ. एके सिंह कहते हैं कि कोरोना के बाद से फंगल निमोनिया के मरीज देश में बढ़े हैं।

(Pneumonia and covid)

चूंकि यह मौसम ही निमोनिया फैलाने वाला होता है ऐसे में इस मौसम में फेफड़ों में इन्‍फेक्‍शन होता है जो एक्‍सरे में साफ-साफ दिखाई देता है। इस बार कोरोना होने के दौरान आईसीयू या ऑक्‍सीजन पर रहे मरीजों में इसका असर काफी ज्‍यादा दिखाई दे रहा है क्‍योंकि अस्‍पताल में भर्ती रहने के दौरान उनके फेफड़ों  की स्थिति पहले से ही काफी क्रिटिकल है जिससे अब निमोनिया के असर को झेलने में काफी परेशानियां हो रही हैं।

कोविड, डायबिटीज और ट्रांसप्‍लांट मरीजों में निमोनिया का खतरा (Pneumonia and covid)

निमोनिया किसी को भी हो सकता है लेकिन जिन लोगों को डायबिटीज की समस्‍या होती है उनको निमोनिया तेजी से पकड़ता है। वहीं कोविड के बाद बहुत सारे मरीजों में निमोनिया देखा जा रहा है। इनमें भी कोविड के दौरान जिन लोगों का ऑक्‍सीजन स्‍तर काफी घट गया था वे अब ज्‍यादा प्रभावित हैं। वायरल संक्रमण होने के बाद भी निमोनिया तेजी से चपेट में लेता है।

जब से किडनी और लिवर ट्रांसप्‍लांट के मरीज बढ़े हैं तब से इन मरीजों में निमोनिया की शिकायत का अनुपात काफी बढ़ा है। इसके साथ ही जिन मरीजों को बैकग्राउंड में फेफड़ों संबंधी बीमारियां जैसे आईएलडी, सीओपीडी आदि होती हैं, उनमें भी निमोनिया होने का खतरा होता है। लंबे समय से स्‍टेरॉयड पर रहने वाले या इम्‍यूनो सप्रेस्‍ड मरीजों को भी निमोनिया जल्‍दी जकड़ रहा है।

(Pneumonia and covid)

जीवनरक्षक दवाओं पर चल रहे लोगों को भी निमोनिया का खतरा है। अगर एक बार निमोनिया हो जाता है तो अस्‍पताल में भर्ती 5 से 10 फीसदी लोगों की मौत हो सकती है। अगर यही मरीज इतने बीमार हैं कि उन्‍हें आईसीयू में रखना पड़ रहा है तो मृत्‍यु दर 30 फीसदी तक हो जाती है। खास बात है कि कोविड की तरह इस बीमारी के लिए इम्‍यून फंक्‍शन जिम्‍मेदार है।

मास्‍क है सबसे बड़ा हथियार (Pneumonia and covid)

निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है। यह हवा के माध्‍यम से फैलता है। संक्रामक है। यही वजह है कि इससे बचाव के लिए बहुत सारे उपाय नहीं हैं लेकिन देखा जा रहा है कि मास्‍क इसके खिलाफ एक बेहतर सुरक्षा कवच का काम कर रहा है।

मास्‍क लगाने से व्‍यक्ति निमोनिया से पीड़ित व्‍यक्ति के संपर्क में भी आने से बच जाता है साथ ही प्रदूषित हवा भी उसके फेफड़ो तक नहीं पहुंचती। वहीं सर्दी के मौसम में चलने वाली तेज और सर्द हवाएं भी शरीर को प्रभावित करती हैं और फेफड़ो में संक्रमण फैलाती हैं। लिहाजा मास्‍क से उस हवा से भी बचाव हो जाता है।

ओपीडी में बढ़ी 1 से 5 साल के बच्‍चों की भीड़ (Pneumonia and covid)

सर्दी शुरू होने के साथ ही प्रदूषण का स्‍तर काफी ज्‍यादा होने के चलते बच्‍चों पर असर डाल रहा है। प्रदूषण के दौरान 1 साल से बड़ी उम्र तक जैसे 12-14 साल तक के बच्‍चों और किशोरों में निमोनिया और एलर्जी जैसी बीमारियां सामने आ रही हैं। दिल्‍ली के लगभग सभी अस्‍पतालों में निमोनिया और एलर्जी के मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं।

हालांकि सबसे ज्‍यादा प्रभावित इस समय 1 से 5 साल तक के बच्‍चे हो रहे हैं। जिनको पहले से फेफड़े आदि की बीमारियां हैं, उनको मौसम बदलने और प्रदूषण बढ़ने के कारण कुछ ज्‍यादा परेशानियां हो रही हैं। यह होना स्‍वाभाविक भी है।

इन उपायों से भी कर सकते हैं बचाव (Pneumonia and covid)

निमोनिया हो या न हो बच्‍चों को गर्म पानी पिलाते रहें, उनकी बॉडी को हाईड्रेड रखें। प्रदूषण बहुत ज्‍यादा है तो बच्‍चों को बाहर न निकलने दें। बड़े भी सावधानी से निकलें। बहुत ज्‍यादा जरूरी होने पर ही बाहर जाएं। जहां भी जाएं खुद भी मास्‍क पहनें और बच्‍चों को भी मास्‍क पहनाएं। यह कोविड नहीं बल्कि अब प्रदूषण के समय में बहुत ही जरूरी है। खुले में कोई भी व्‍यायाम या योग आदि न करें।

पार्कों में एकदम सुबह और शाम को जाने से बचें। बच्‍चों को खांसी या सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है, या सांस लेते समय दर्द हो रहा है या अन्‍य कोई परेशानी हो रही है तो इंतजार न करें, तुरंत अस्‍पताल ले जाएं। बच्‍चे या बड़ों को अगर पहले से कोई बीमारी है, फेफड़ो में दिक्‍कत है या अस्‍थमा की समस्‍या है तो उसका विशेष ध्‍यान रखें। दवाओं का ध्‍यान रखें। पोषणयुक्‍त भोजन का ध्‍यान रखें।

(Pneumonia and covid)

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Mukta

Sub-Editor at India News, 7 years work experience in punjab kesari as a sub editor, I love my work and like to work honestly

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