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Positive Use of Online Content : ऑनलाइन कंटेंट का सकारात्मक इस्तेमाल करें तो बच्चे अकेलेपन का शिकार नहीं होंगे

Sameer Saini • LAST UPDATED : November 22, 2021, 4:17 pm IST

Positive Use of Online Content : कोरोना काल में बच्चों/किशोर का ज्यादातर समय कंप्यूटर या मोबाइल पर या तो ऑनलाइन क्लास लेने पर गुजरता है या फिर अपने दोस्तों के साथ चैट करने पर। कई बच्चे गेम्स और वीडियो देखने के लिए भी इनका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, संक्रमण के डर की वजह से इनका बाहर निकलना, पार्क में खेलना, दोस्तों से मिलना, घूमना आदि सब छूट गया है। पिछले डेढ़ साल से बच्चे ज्यादातर समय घर में ही बिताते है और घर में भी वो कंप्यूटर और मोबाइल के जरिए ही बाहर की दुनिया देख रहे हैं। (Positive Use of Online Content)

फिर चाहे वो अपनी पढ़ाई को जारी रखना हो या फिर अपने दोस्तों से संपर्क साधना। ऐसे में माता-पिता के सामने ये चिंता भी लगातार बनी रहती है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम (बच्चे कितने समय कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठते हैं) कहीं उनकी आंखों और दिमाग के लिए हानिकारक ना हो। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्कले की नई रिसर्च में पता चला है कि बच्चों पर कंप्यूटर या मोबाइल के आगे घंटों बैठने (लंबा समय बिताने) से ज्यादा इसकी गुणवत्ता का ज्यादा असर पड़ता है। अगर ऑनलाइन कंटेंट या चैट का सकारात्मक इस्तेमाल किया जाए, तो अकेलापन दूर होता है। (Positive Use of Online Content)

ऑनलाइन कंटेंट की गुणवत्ता पर निर्भर

इस स्टडी में कहा गया है कि बच्चे और युवा अगर इंस्टाग्राम, टिकटॉक, स्नैपचैट और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्क्रॉल और पोस्ट करते हैं, तो इससे ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। वे ऑनलाइन कितने घटें बिताते हैं, यह सोचने की बात हो सकती है। लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल उनके ऑनलाइन कंटेंट देखने और चैट की गुणवत्ता को लेकर है। ‘जर्नल ऑफ रिसर्च ऑन एडोलसेंस’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक जो बच्चे या युवा व्हाट्सऐप के जरिए दोस्तों और रिश्तेदारों से चैट करते हैं या मल्टीप्लेयर ऑनलाइन वीडियो गेम खेलते हैं, उन्हें अकेलेपन की कम शिकायत रहती है। (Positive Use of Online Content)

पॉजिटिव कंटेंट को बढ़ावा दें

शोध के प्रमुख लेखक एवं यूसी बर्कले इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलेपमेंट में वैज्ञानिक डॉ लूसिया मैगिस वेनबर्ग ने कहा कि यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप स्क्रीन पर अपना समय कैसे बिताते हैं, न कि कितना समय बिताते हैं। इससे यह भी पता चलता है कि आप अकेलापन महसूस करते हैं या नहीं। इसलिए टीचर्स और पैरेंट्स को स्क्रीन टाइम घटाने के बजाय पॉजिटिव ऑनलाइन कंटेंट को बढ़ावा देने पर जोर देना चाहिए। यानी हम ये सुनिश्चित करें कि बच्चे क्या देख रहे हैं? किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं। (Positive Use of Online Content)

आम धारणा को चुनौती देती स्टडी

डॉ लूसिया का कहना है कि यह रिसर्च उस आम धारणा को चुनौती देती है कि सोशल मीडिया के बहुत ज्यादा यूज से बच्चे अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं। ऑनलाइन कंटेंट या चैट का सकारात्मक इस्तेमाल किया जाए, तो अकेलापन दूर होता है। विशेष रूप से यह तब हो, जब बच्चों के पास कोई अन्य विकल्प न हो। यह स्टडी अप्रैल, 2020 में 11 से 17 साल के छात्रों पर, यह समझने के लिए की गई थी कि सामाजिक रूप से अलग थलग परिस्थितियों में उनका ऑनलाइन व्यवहार और संबंध कैसा रहता है।

(Positive Use of Online Content)

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