Risk Factors for Heart Disease : दुनियाभर में हार्ट डिजीज से सालाना करीब 90 लाख लोगों की मौत होती है। लेकिन लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव और हेल्दी खाने से इन मौतों में कमी लाई जा सकती है। इसके लिए एक्सरसाइज करने और स्मोकिंग और शराब छोड़ने, कम सैचुरेटिड फैट वाले खाना खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसके साथ ही पॉलीअनसैचुरेटेड फैट वाले पदार्थ जैसे कि नट्स, वनस्पति तेल और मछली जैसी स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाने का नहीं बताया जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के एमआरसी एपिडेमियोलाजी यूनिट की रिसर्चर्स मारिंका स्टीर और नीता फोरोहि ने बताया कि हमारी नई स्टडी में ये बात सामने आई है कि खाने में सिर्फ सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम करने के बजाय हमें इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि उस सैचुरेटेड फैट का सोर्स (स्रोत) क्या है। अब तक हुई अधिकांश स्टडी में ध्यान इस बात पर दिया गया कि सैचुरेटेड फैट और हार्ट रोग का क्या संबंध है। लेकिन खाद्य पदार्थो में विभिन्न प्रकार से पोषक तत्व पाए जाते हैं। (Risk Factors for Heart Disease)
इसलिए, इस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है कि किस खाद्य पदार्थ का सैचुरेटेड फैट हार्ट रोग के खतरा से जुड़ा है, न कि सिर्फ सैचुरेटेड फैट की बात हो। रिसर्चर्स ने इसी तथ्य को ध्यान में रखकर ये स्टडी की है, इसमें 10 यूरोपीय देशों के 10, 529 ऐसे वयस्क लोगों के डाटा को शामिल किया, जिन्हें हार्ट डिजीज का ज्यादा खतरा था। उनकी तुलना 16,730 हेल्दी लोगों से की गई। उनके खान-पान के डाटा का विश्लेषण किया गया। लेकिन हार्ट रोग के खतरे के आंकलन में अन्य कारकों का भी पूरा ध्यान रखा गया, ताकि सैचुरेटेड फैट के प्रभाव को बेहतर तरीके से समझा जा सके। (Risk Factors for Heart Disease)
रिसर्चर्स ने बताया कि हमने हार्ट डिजीज के रिस्क का सैचुरेटेड फैट की मात्र से कोई संबंध नहीं पाया। लेकिन जब सैचुरेटेड फैट के स्रोत का विश्लेषण किया गया तो स्थिति बिल्कुल अलग दिखी। इसमें पाया गया कि जिन लोगों ने रेड मीट और बटर वाला ज्यादा सैचुरेटेड फैट खाया, उनमें हार्ट डिजीज होने का रिस्क अधिक था। लेकिन इसके उलट, जिन्होंने पनीर, दही और मछली वाला सैचुरेटेड फैट खाया, उनमें हार्ट रोग होने का खतरा कम था। (Risk Factors for Heart Disease)
इससे साफ है कि सैचुरेटेड फैट से जुड़े हार्ट रोग के खतरे का संबंध फैट की मात्रा से ज्यादा उसके सोर्स (स्रोत) से है। हालांकि रिसर्चर्स ने स्पष्ट किया है कि चूंकि उनकी स्टडी अवलोकनों पर आधारित है, इसलिए डाइट और हार्ट डिजीज का संबंध सीधे तौर पर साबित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि फूड आइटम्स में विटामिन्स, मिनरल्स समेत कई पोषक तत्व होते हैं, जो एक साथ मिलकर कई रोगों की रोकथाम करते हैं या फिर रोगों के कारक भी बनते हैं।
उदाहरण के तौर पर पनीर और दही को ले सकते हैं, जिनमें सैचुरेटेड फैट होने के साथ ही विटामिन के2 और प्रोबायोटिक्स जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। इनमें से प्रत्येक पोषक तत्व विभिन्न तरीके से परस्पर क्रियाओं से ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल या इन्फ्लेमेशन (सूजन) को प्रभावित करते हैं। इसलिए जरूरी है कि रेड मीट और बटर जैसे सैचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थ खाने से बचने की सलाह देने के साथ ही डाइट में उसे शामिल करने के वैकल्पिक उपाय भी बताया जाना चाहिए।
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