Should the Flour be Sifted : आटे को छानने से इसमें से चोकर निकल जाता है। इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है। बाजार में बिकने वाला आटा भी बहुत महीन होता है। इसलिए हमारी मम्मी आटे को छानकर ही उनकी रोटियां बनाती थीं और ये अब उनकी आदत बन चुकी है।
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इसलिए वे मार्केट से लाए आटे को भी छानकर रोटी बनाती हैं। हालांकि ऐसा माना जाता है कि ऐसे आटे से बनी रोटियां मुलायम होती हैं, लेकिन ये कितनी खतरनाक हो सकती हैं इसका अंदाजा बहुत कम लोगों को होता है। दरअसल, चोकर निकल जाने के बाद उस आटे की पौष्टिकता कम हो जाती है।
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गेहूं की बात करें तो इसके चोकर में बहुत सारे लवण और विटामिन होते हैं। इसी वजह से इसे आदर्श रेशा भी कहा जाता है। चोकर वाला आटा इस्तेमाल करना इसलिए ज्यादा जरूरी है क्योंकि जो तत्व हमें चोकर से मिलते हैं वो और कहीं से नहीं मिल पाते हैं। चोकरयुक्त आटे की रोटियां खाने से कई गंभीर बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
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अब हर लड़की इंडिपेंडेंट और सबके यहां मार्केट वाला आटा आता है। इस आटे को छानने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिए आजकल की लड़कियां आटे को छानकर रोटी नहीं बनाती हैं।
मार्केट से लाए जाने वाले आटे को छानकर रोटी बनाने से इसमें से चोकर निकल जाता है और फिर इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है। जबकि चोकर निकाल देने से आटे की रोटी हेल्दी नहीं होती है।
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चोकर निकाल दिए जाने वाले आटा महीन बन जाता है जिससे रोटी मुलायम बनती है। लेकिन ये मुलायम रोटी सेहत को काफी नुकसान पहुंचाती है। इससे कब्ज की समस्या होती है क्योंकि ये महीन आटा आंतों से चिपक जाता है। वैसे भी चोकर निकाल देने से आटे की पौष्टिकता कम हो जाती है।
15 दिन से अधिक पुराने आटे के पोषक तत्व नष्ट हो जाते है। जिससे शरीर को ऊर्जा नहीं मिलती है। हमारे देश में गर्म खाना खाने और खिलाने की परम्परा है। गेहूं का आटा 15 दिन और बाजरा,मक्की,ज्वार जौ, आदि का आटा 7 दिन से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए।
सबसे अच्छा हाथ की चक्की से पिसा हुआ आटा होता है। क्योंकि हाथ की चक्की से पिसने में आटे का तापमान 25 से 30 डिग्री से ज्यादा नहीं होता है, हम उसे छू सकते है और वह ज्यादा बारीक भी नहीं होता। इसीलिए उसके पोषक तत्व सुरक्षित रहते है।
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लेकिन आधुनिक चक्की से पिसा हुआ आटा गर्म होता है कि हम तुरंत उसे छू नहीं सकते व वह मैदा की तरह बारीक होकर हानिकारक हो जाता है। अधिक तापमान के कारण उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते है।
पुराने समय में हमारी मातायें हाथ की चक्की से ही आटा पिसती थी। जिसके कारण उनके पेट और गर्भाशय का व्यायाम होता था और गर्भाशय की मुलायमियत बढती थी। इसके कारण प्रसूति (डिलीवरी) में आसानी रहती थी।
आज के समय में यदि सम्भव हो तो हाथ से आटा पिसने वाली चक्की का प्रयोग करें या फिर जहाँ से आटा पिसवाएं वहां पर ऐसी व्यवस्था हो कि आटा पिसते समय गर्म ना हो यानि आटा पिसने वाली चक्की की गति बहुत धीमी हो। आटा बिना छाने ही प्रयोग करें।
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