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चुपचाप फेफड़ों को अंदर से सड़ा रहा है Silent pneumonia, इस जानलेवा बीमारी के लक्षणों को जल्दी पहचान पाना भी है मुश्किल

India News (इंडिया न्यूज़), What is Silent Pneumonia: फेफड़े शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण अंग हैं, जिन्हें स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। वायु प्रदूषण से लेकर किसी हानिकारक गैस या केमिकल के संपर्क में आने से आपके फेफड़े खराब हो सकते हैं, जिससे काफी परेशानियां हो सकती हैं। ज्यादातर मामलों में फेफड़ों के प्रभावित होने पर निमोनिया शुरू हो जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साइलेंट निमोनिया (Silent Pneumonia) क्या होता है?

दिल्ली जैसे शहरों में तेजी से बढ़ते प्रदूषण की वजह से साइलेंट निमोनिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, साइलेंट निमोनिया आज के समय में एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, खासकर उन इलाकों में जहां प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है, जैसे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली। दरअसल प्रदूषण की वजह से हवा में पीएम 2.5 जैसे खतरनाक तत्व भारी मात्रा में आ जाते हैं, जो फेफड़ों में सूजन और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह एक धीमे और अक्सर ‘छिपे हुए’ संक्रमण की तरह काम करता है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति को कमजोर कर सकता है और अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है।

क्या है साइलेंट निमोनिया?

साइलेंट निमोनिया एक प्रकार का बैक्टीरियल या वायरल निमोनिया है, जो फेफड़ों में सूजन और संक्रमण का कारण बनता है। यह निमोनिया आमतौर पर माइकोप्लाज्मा निमोनिया (एक बैक्टीरिया) या कुछ वायरल संक्रमणों के कारण होता है। साइलेंट होने का मतलब है कि इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और व्यक्ति को इसे नोटिस करने में समय लगता है।

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लक्षणों को जल्दी पहचान पाना है मुश्किल

साइलेंट निमोनिया के लक्षण अक्सर हल्के और स्पष्ट होते हैं, इसलिए इसे अन्य सामान्य बीमारियों से अलग करना मुश्किल है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी सर्दी, खांसी, हल्का बुखार और थकान के रूप में शुरू हो सकती है और ऐसे लक्षण आम सर्दी या वायरल संक्रमण से मिलते-जुलते हैं। इस वजह से लोग इसे अनदेखा कर सकते हैं, जबकि असल में यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली स्थिति हो सकती है।

डॉक्टरों के मुताबिक, साइलेंट निमोनिया के मामले खासकर वायु प्रदूषण से प्रभावित इलाकों में बढ़ रहे हैं। प्रदूषित हवा में धूल, कार्बन मोनोऑक्साइड और दूसरे खतरनाक रसायन होते हैं, जो सीधे फेफड़ों में जाकर संक्रमण का कारण बन सकते हैं। दिल्ली जैसे शहरों में, जहां प्रदूषण का स्तर अधिक है, डॉक्टरों ने इस स्थिति को लेकर चेतावनी दी है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह

साथ ही स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को साइलेंट निमोनिया के प्रति अधिक सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। इसके हल्के लक्षण होने के कारण इसे जल्दी पहचाना नहीं जा सकता और प्रदूषण प्रभावित क्षेत्रों में इसके बढ़ने की संभावना अधिक होती है। अगर किसी को खांसी, बुखार, सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्कत हो तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

 

 

Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Nishika Shrivastava

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