India News (इंडिया न्यूज), These Spices Increase The Risk of Cancer: भारतीय मसाले, जो दुनियाभर में अपने स्वाद और गुणवत्ता के लिए मशहूर हैं, हाल ही में विवादों के घेरे में आ गए हैं। हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर और अब नेपाल ने भारत की दो प्रमुख मसाला कंपनियों – MDH और एवरेस्ट – के उत्पादों पर बैन लगा दिया है। यह कार्रवाई उनके मसालों में कथित रूप से हानिकारक रसायन ‘एथिलीन ऑक्साइड’ की अधिक मात्रा पाए जाने के बाद की गई है।
क्या है विवाद?
हॉन्गकॉन्ग के सेंटर फॉर फूड सेफ्टी (CFS) ने MDH के तीन मसालों – मद्रास करी पाउडर, मिक्स्ड मसाला पाउडर और सांभर मसाला – और एवरेस्ट के फिश करी मसाला में तय सीमा से अधिक एथिलीन ऑक्साइड पाया। इसके बाद सिंगापुर और नेपाल ने भी इन मसालों के आयात और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
एथिलीन ऑक्साइड एक तरह का कीटनाशक है, जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों को स्टरलाइज करने के लिए किया जाता है। हालांकि, यह केमिकल कैंसर का कारण बन सकता है, और इसे कई देशों में प्रतिबंधित किया गया है।
भारतीय मसालों पर वैश्विक जांच का दायरा
- ब्रिटेन: भारत से आने वाले मसालों की जांच को सख्त करने की योजना बना रहा है।
- न्यूजीलैंड: वहां के फूड सेफ्टी रेगुलेटर इस मामले की जांच करने पर विचार कर रहे हैं।
- अमेरिका: अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने 2021 से अब तक MDH के मसालों की 14% से अधिक खेप को लौटा दिया है, क्योंकि उनमें बैक्टीरिया पाए गए थे।
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय फूड सेफ्टी रेगुलेटर (FSSAI) ने MDH और एवरेस्ट समेत सभी प्रमुख मसाला कंपनियों के उत्पादों के सैंपल मांगे हैं। साथ ही, FSSAI ने हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर से विस्तृत जानकारी मांगी है।
अब कैंसर का मतलब नहीं होगा मौत…20 साल पहले ही बीमारी होने से रोक देगा ये नया टीका
MDH और एवरेस्ट: दो प्रमुख मसाला ब्रांड
MDH (महाशियां दी हट्टी):
- स्थापना: 1919 में, पाकिस्तान के सियालकोट में।
- संस्थापक: धरमपाल गुलाटी के पिता चुन्नी लाल।
- मौजूदा स्थिति: 1500 करोड़ रुपये का साम्राज्य, स्कूल और अस्पताल भी संचालित करता है।
- वैश्विक उपस्थिति: दुबई और लंदन में ऑफिस, 100 से अधिक देशों में निर्यात।
एवरेस्ट:
- स्थापना: 1967 में वादिलाल शाह द्वारा।
- बाजार हिस्सेदारी: 2022 में 13%।
- राजस्व: 1700 करोड़ रुपये से अधिक।
हवा की तरह उड़ जाएगा जोड़ों का दर्द, सौ घोड़ों की ताकत को टक्कर देते हैं कैल्शियम से भरे ये फूड्स!
भारतीय मसालों की वैश्विक महत्ता
भारत दुनियाभर में मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। एक अनुमान के मुताबिक, वैश्विक मसालों के 12% से अधिक का निर्यात भारत करता है। चीन, बांग्लादेश, UAE और अमेरिका भारतीय मसालों के प्रमुख खरीदार हैं।
विवाद का संभावित प्रभाव
इस विवाद से भारत के मसाला उद्योग को गंभीर झटका लग सकता है। MDH और एवरेस्ट जैसे ब्रांड्स दशकों से भारतीय बाजार पर राज कर रहे हैं। इनका अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अच्छा-खासा हिस्सा है। हालांकि, अभी जिन देशों ने प्रतिबंध लगाया है, वहां भारत 1% से भी कम मसालों का निर्यात करता है।
इतिहास में ऐसे विवाद
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय मसालों पर सवाल उठे हैं। 2014 में बायोकेमिस्ट्री एक्सपर्ट इस्मिता मजूमदार ने बड़े ब्रांड्स के मिर्च पाउडर और गरम मसाला में सीसा (लेड) पाए जाने का दावा किया था।
भारतीय मसालों की प्रतिष्ठा और गुणवत्ता पर उठे ये सवाल उद्योग के लिए चेतावनी हैं। MDH और एवरेस्ट जैसी कंपनियों को अपनी गुणवत्ता और प्रक्रिया में सुधार करना होगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतर सकें।
भारत सरकार और उद्योग को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि भारतीय मसाले अपनी वैश्विक पहचान को बनाए रख सकें।