India News(इंडिया न्यूज): छींक आना एक प्राकृतिक क्रिया होती है। स्वस्थ्य जीवन के लिए छींक आना बहुत जरूरी है। जब नाक के अंदर बाहरी तत्व जैसे डस्ट और पाउडर जैसे पार्टिकल्स चले जाते हैं तो इनको बाहर निकालने के लिए हमें छींक आती है। सर्दी-जुकाम होने पर भी व्यक्ति को छींक आती है. हम अक्सर अगर किसी जरूरी मीटिंग में होते हैं तो छींक आने पर उसको रोकने की कोशिश करते हैं जो कि जानलेवा भी हो सकता है। छींक रोकने से शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं।
छींक रोकना क्यों है खतरनाक
हमारी नाक में एक म्यूकस नाम की झिल्ली होती है। जिसके सेल्स या टिश्यू पर जब कोई डस्ट पार्टिकल आकर चिपकता है, तो इसे बाहर निकालने के लिए छींक आती है। छींक आते समय तेज रफ्तार से हवा बाहर आती है जिसको रोकने पर इसका दबाव दूसरे अंगों की ओर मुड़ जाता है। इससे आपके आंख, नाक और कान को भी ज्यादा नुकसान हो सकता है। इससे आपके फेस की नर्व्स और मसल्स भी कमजोर हो सकती हैं।
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एक्सपर्ट के मुताबिक अगर आप बार-बार छींक को रोकते हैं तो इससे आपके फेफड़ों पर दबाव पड़ता है। जिससे श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है। छींक रोकने से आपके गर्दन में भी मोच आ सकती है। आपका दिमाग की नसें भी फट सकती है। कई दुर्लभ मामलों में व्यक्ति के छींक रोकने पर दिल का दौरा आने की भी संभावना होती है। नाक और मुंह बंद करके छिंकना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
हम छिंक क्यों रोकते हैं
अक्सर हम जब कहीं सार्वजनिक जगह पर होते हैं और छींक आती है तो हाथ रखकर उसे रोक लेते हैं। यह दिखने में काफी उचित लगता है क्योंकि इससे सामने वाले को असहज नहीं लगता है. लेकिन छिंक को रोकना हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए छिंक आने पर आप अपने मुंह के पास रुमाल रख सकते हैं जिससे किसीं को असहज भी नहीं लगेगा और आपके शरीर में संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं होगा.
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