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स्ट्राजेनेका वैक्सीन से घातक खून के थक्के का खुलासा, COVID टीके से जुड़ी एक नई स्टडी आई सामने-Indianews

India News (इंडिया न्यूज), Astrazeneca Vitt: ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अदालत में स्वीकार किया था कि उसकी कोरोना वैक्सीन दुर्लभ मामलों में रक्त के थक्के का कारण बन सकती है। शोधकर्ताओं ने अब दावा किया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से वैक्सीन-प्रेरित इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और थ्रोम्बोसिस (VITT) का खतरा बढ़ जाता है। जो एक दुर्लभ लेकिन घातक रक्त का थक्का जमने का विकार है। हालांकि ये कोई नई बात नहीं है। एडेनोवायरस वेक्टर-आधारित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के बाद वीआईटीटी एक नई बीमारी के रूप में उभरी।

शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में कोविशील्ड ब्रांड नाम के तहत बेची जाने वाली एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, वैक्सीन-प्रेरित इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और थ्रोम्बोसिस (वीआईटीटी) नामक एक दुर्लभ रक्त के थक्के जमने की बीमारी से जुड़ी है।

COVID टीके से जुड़ी एक नई स्टडी

फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के अनुसार, जिन्होंने हाल ही में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में अपना अध्ययन साझा किया, वीआईटीटी 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान उभरा, विशेष रूप से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के उपयोग के बाद, जो एडेनोवायरस पर आधारित है। वैज्ञानिकों ने पाया कि वीआईटीटी एक हानिकारक रक्त ऑटोएंटीबॉडी के कारण होता है जो प्लेटलेट फैक्टर 4 (पीएफ4) नामक प्रोटीन को लक्षित करता है। 2023 में अलग-अलग शोध से एक समान, कभी-कभी घातक विकार का पता चला, जो सामान्य सर्दी जैसे प्राकृतिक एडेनोवायरस संक्रमण से जुड़ा था, जिसमें समान पीएफ4 एंटीबॉडी शामिल था।

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एंटीबॉडी है ऑटोएंटीबॉडी प्रतिरक्षा पद्धति

बता दें कि, ऑटोएंटीबॉडी प्रतिरक्षा पद्धति के द्वारा उत्पादित एक प्रकार का एंटीबॉडी है जो गलती से शरीर के स्वयं के ऊतकों को लक्षित करता है और उन पर हमला करता है, यह सोचकर कि वे विदेशी आक्रमणकारी हैं। इससे ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती हैं, जहां प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है। प्रभावित रोगियों में अक्सर मस्तिष्क या पेट जैसी असामान्य जगहों पर रक्त के थक्के बन जाते हैं। उनके रक्त में डी-डिमर नामक पदार्थ का स्तर भी उच्च होता है।

शोधकर्ताओं ने क्या कहा?

फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं, डॉ. जिंग जिंग वांग और प्रोफेसर टॉम गॉर्डन ने पहले 2022 में पीएफ4 एंटीबॉडी से संबंधित आनुवंशिक जोखिम कारक की पहचान की थी। अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के साथ उनके हालिया सहयोग में पाया गया कि वैक्सीन से संबंधित वीआईटीटी और प्राकृतिक एडेनोवायरस संक्रमण दोनों में पीएफ4 एंटीबॉडी समान आणविक हस्ताक्षर साझा करते हैं। फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में विकसित एक नवीन पद्धति का उपयोग करते हुए यह नया अध्ययन दिखाता है कि वायरस और टीकों में एक सामान्य कारक इन हानिकारक एंटीबॉडी को ट्रिगर करता है। शोध से पता चलता है कि इन विकारों में एंटीबॉडी उत्पादन के तंत्र लगभग समान हैं और समान आनुवंशिक जोखिम कारक साझा करते हैं।

प्रोफेसर गॉर्डन ने बताया कि इन निष्कर्षों के महत्वपूर्ण नैदानिक ​​निहितार्थ हैं। वीआईटीटी से सीखे गए सबक प्राकृतिक एडेनोवायरस संक्रमण के बाद दुर्लभ रक्त के थक्के जमने के मामलों पर लागू हो सकते हैं और टीके की सुरक्षा में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

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Himanshu Pandey

इंडिया न्यूज में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर काम कर रहा हूं। ऑफबीट सेक्शन के तहत काम करते हुए देश-दुनिया में हो रही ट्रेंडिंग खबरों से लोगों को रुबरु करवाना ही मेरा मकसद है। जिससे आप खुद को सोशल मीडिया की दुनिया से कटा हुआ ना महसूस करें ।

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