AIIMS की बायोकेमिस्ट्री विभाग में अध्ययन, कैंसर पीड़ितों के उपचार में बेहद कारगार है त्रिफला

Cancer Treatment: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की बायोकेमिस्ट्री विभाग ने कैंसर पीड़ितों के उपचार को लेकर एक बेहद ही महत्हपूर्ण अध्ययन किया है। जिसमें उन्होंने इस बात का दावा किया है कि कैंसर के उपचार के लिए त्रिफला बेहद ही कारगार होता है। दवाई के साथ इसके सेवन से कीमोथेरेपी से होने वाले साइड इफेक्ट से राहत मिलती है।

इसके साथ ही कैंसर से उबरने की गति भी काफी तेज होती है। एम्स ने 18 लाख कृत्रिम कोशिकाओं पर किए गए अध्ययन से इसका पता लगाया है। नतीजे उत्साहवर्धक मिलने पर अगले चरण में अब विभाग ब्लड कैंसर के मरीजों पर इसका अध्ययन कर रहा है। इसके लिए पांच-पांच मरीजों के दो समूह बनाए गए हैं। पहले समूह के मरीजों को केवल कैंसर की दवाई दी जा रही है. जबकि दूसरे समूह के मरीजों को दवाई के साथ त्रिफला भी दिया जाता है।

दवाई के साथ त्रिफला वाले मरीजों में सुधार

बता दें कि ये अध्ययन अभी वंबे वक्त तक चलेगा। मगर शुरुआती दौर में ही यह देखा गया है कि जिन मरीजों को दवाई के साथ त्रिफला भी दिया जा रहा है, उन मरीजों में तेजी के साथ सुधार हो रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बायोकेमिस्ट्री विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर निधी गुप्ता ने जानकारी दी है कि विभाग ने त्रिफला में अध्ययन के लिए लैब में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बनाई गई कोशिकाओं के 9 ग्रुप बनाए। सभी ग्रुप में 2-2 लाख कोशिकाओं को केवल त्रिफला के साथ रखा गया।

करीब 2 माह तक लैब में चला अध्ययन

वहीं दूसरे ग्रुप को कैंसर की दवाई और तीसरे ग्रुप को कैंसर की दवाई के साथ त्रिफला में रखा गया। इन तीनों की तरह ही डोज को कम-ज्यादा कर 6 और ग्रुप बनाए गए करीब 2 माह तक लैब में ये अध्ययन चला। इस दौरान ये पता चला कि दो दिन तक तय किए गए डोज के साथ रखे गए कोशिकाओं में अंतर आ रहा है। जिन कोशिकाओं को दवाई और त्रिफला के साथ 2 दिन तक रखा गया है, उनमें मृत कोशिकाओं की संख्या कम रही, उनमें काफी सुधार था। दवाई के साथ त्रिफला देने से मरीज में कीमोथेरेपी को बाद उल्टी स्वाद में बदलाव, कब्ज की शिकायत, तनाव, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और धूप से परेशानी आदि साइड इफेक्ट में काफी सुधार पाया गया। इसके साथ ही कैंसर से रिकवरी की गति में तेजी देखी गई है।

जानें क्या है त्रिफला

आपको बता दें कि त्रिफला एक प्रसिद्द आयुर्वेदिक रासायनिक फॉर्मूला है। इसमें अमलकी (आंवला), बिभीतक (बहेडा) और हरितकी (हरड़ के बीज निकाल कर) मिश्रण तैयार किया जाता है। इसमें एक भाग हरड़ का, दो भाग, बहेड़ा का और तीन भाग आंवला का होता है। उसे उक्त मात्रा में मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है।

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Akanksha Gupta

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