Symptoms Of Flesh Burst बच्चे हों या बड़े, चोट लगना एक आम बात है। यह किसी भी मौसम में किसी भी वक्त लग सकती है। हालांकि चोट लगने के बाद लोगों की सबसे पहली चिंता यही होती है कि कहीं हड्डी न टूट गई हो या फ्रैक्चर न हो गया हो। ऐसे में खेलते वक्त या किसी से टकराने के दौरान चोट लगने पर हड्डी को लेकर ध्यान रखा जाता है।
इस दौरान आमतौर पर अगर किसी को चोट की जगह पर सूजन, नीलापन या दर्द होता है लेकिन फ्रैक्चर नहीं होता तो उसे मांस फटने की बात कहकर और कुछ प्राथमिक इलाज देकर छोड़ दिया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मांस फटने पर हड्डी टूटने के बराबर ही देखभाल और इलाज की जरूरत होती है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो यह आगे चलकर बड़ी बीमारी को जन्म दे सकता है।
(Symptoms Of Flesh Burst)
दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स में असोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतीश कुमार बताते हैं कि आमतौर पर चोट लगने के बाद मांस फटने यानि उस जगह पर सूजन आने, नीला पड़ने या तेज दर्द होने की स्थिति में लोग खुद ही इलाज कर लेते हैं।
वे तब तक डॉक्टर के पास नहीं आते जब तक उन्हें ये न लगे कि हड्डी में कोई ब्रेक आया है या फ्रैक्चर हुआ है। ऐसे हालात में होता यह है कि चोट के बाद मांस का फटना कई बार गंभीर रोग का कारण बन जाता है। इस दौरान अगर इसे बिना इलाज के छोड़ दिया जाए या लापरवाही कर दी जाए तो उसका नुकसान मरीज को बाद में उठाना पड़ता है।
डॉ. सतीश कहते हैं कि चोट लगने की स्थिति में अगर शरीर की मांसपेशी में ज्यादा खिंचाव आ जाता है या उस पर अधिक दवाब पड़ जाता है और उस जगह की ब्ल्ड वेसेल्स भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो उसे मांस फटना कहा जाता है।
कई बार ऐसा भी होता है कि मांस फटने की वजह से खून निकलता है जबकि कई बार त्वचा के भीतर मांसपेशी को नुकसान पहुंचता है और मांस फट जाता है लेकिन बाहर खून नहीं निकलता, तेज दर्द होता है, वह जगह नीली पड़ जाती है, उसपर सूजन आ जाती है और 6 घंटे से ज्यादा रहती है तो समझना चाहिए कि मांस फटने की दिक्कत हुई है। अगर पैर में मांस फटा है तो दर्द होता है लेकिन पैर को जमीन पर रख सकते हैं और कुछ दूरी तक चल भी सकते हैं।
किसी प्रकार की चोट लगने या दबाव पड़ने पर हड्डी की बनावट में दरार पड़ जाना या इसके ब्रेक होने जाने को फ्रैक्चर या हड्डी टूटना कहते हैं। इस दौरान बहुत ज्यादा दर्द होता है। उस स्थान पर सूजन भी आ जाती है। जैसे अगर पैर में हड्डी टूटी है तो पैर को नीचे नहीं रखा सकता और तीव्र दर्द होता है।
वैसे तो कोई भी मेडिकल एक्सपर्ट हड्डी टूटने का पता लगा लेता है लेकिन कम ज्यादा का पता एक्सरे में चल जाता है। हड्डी टूटने पर उसे ठीक करने या उसके खिसक जाने या दो हड्डियों के बीच गैप आ जाने पर उसे ठीक करने के लिए डॉ. विशेष उपचार करते हैं जो कई हफ्ते तक चल सकता है।
डॉ. सतीश बताते हैं कि मांस फटना वैसे तो सामान्य कहा जाता है लेकिन अगर इसको बिना इलाज दिए छोड़ दिया जाए, जैसा कि कई बार लोग लापरवाही में कर देते हैं तो इसका काफी असर पड़ता है। मांस फटने के बाद कंपार्टमेंट सिंड्रोम के मामले सामने आते हैं।
मान लीजिए कि हाथ या पैर में चोट लगी है और वहां का मांस फट गया है लेकिन उसका इलाज नहीं कराया गया तो उस जगह की मसल्स और लिंब पूरी तरह से डेमेज हो सकते हैं। वैस्कुलर सप्लाई कट सकती है। ऐसी स्थिति में कोशिश की जाती है कि गली हुई मसल्स को छोड़कर बाकी बची मसल्स को बचाया जाए लेकिन अगर यह डेमेज ज्यादा बढ़ जाता है या सभी मसल्स गल जाती हैं तो उस हाथ या पैर को काटना पड़ जाता है।
(Symptoms Of Flesh Burst)
मांस फटने का एक और असर होता है कि अगर इसका इलाज ठीक से न किया जाए तो प्रभावित अंग की संवेदनशीलता कम होती जाती है या खत्म हो जाती है। जैसे उस जगह को छूने या चिकोटी काटने पर नहीं पता चलेगा। इसके अलावा मूवमेंट का भी पता नहीं चलता है। वहीं बुजुर्गों में कभी कभी पैरालिसिस की भी परेशानी हो सकती है।
मांस फटने के बाद एक चीज और देखी गई है कि अगर ब्लड वेसेल्स को नुकसान होने के बाद उसका इलाज नहीं कराया जाता तो इससे किडनी भी फेल हो सकती है। हीमोग्लोबिन, मैट हीमोग्लोबिन में कन्वर्ट हो जाता है और किडनी पर असर पड़ता है। अगर एक अंग प्रभावित होता है तो एक बाद एक दूसरे कई अंग भी प्रभावित होते जाते हैं।
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डॉ. सतीश कहते हैं कि हड्डी टूटने को लेकर लोगों में जितनी जागरुकता है उतनी मांस फटने को लेकर नहीं है जबकि यह भी काफी परेशानी दे सकता है। अगर मांस फटने का इलाज और करीब तीन हफ्ते तक प्रभावित अंग को पूरा आराम दिया जाता है तो आने वाली कई बीमारियों को रोका जा सकता है। इसलिए चोट लगने पर अगर दर्द, सूजन, चलने या अंग को क्रियाशील करने में कोई परेशानी आ रही है तो उसके लिए एक बार चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी है।
(Symptoms Of Flesh Burst)
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