India News (इंडिया न्यूज),Tuberculosis in India: टीबी पिछले कई दशकों से भारत में कहर बरपा रहा है। देश में लाखों लोग टीबी से पीड़ित हैं और हर साल हजारों लोग इस जानलेवा बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। सरकारें लंबे समय से भारत को टीबी मुक्त बनाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अभी तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। रिपोर्ट्स की मानें तो दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में हैं। हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया है कि इस साल जनवरी से अक्टूबर के बीच करीब 21.69 लाख टीबी के मामले सामने आए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि 2020 में टीबी के 18.05 लाख मामले थे, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 25.52 लाख हो गए। वर्ष 2024 में जनवरी से अक्टूबर के बीच लगभग 21.69 लाख टीबी के मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार का लक्ष्य 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक टीबी को खत्म करना है। हालांकि, जिस तरह से टीबी के मरीज मिल रहे हैं, उससे अगले साल तक इस बीमारी को खत्म करने की संभावना दूर की कौड़ी लगती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इतनी जल्दी टीबी को खत्म करना संभव नहीं है।
यह बैक्टीरिया वातावरण में मौजूद है और करीब 90 फीसदी लोगों के शरीर में पहुंच चुका है। हालांकि जब तक लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है, तब तक टीबी का बैक्टीरिया दबा रहता है। जैसे ही लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, यह बैक्टीरिया शरीर पर हमला कर देता है। इसके बाद लोगों को टीबी की बीमारी हो जाती है।
टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। पल्मोनोलॉजिस्ट ने बताया कि इस बीमारी के ज्यादातर मरीज पल्मोनरी टीबी के हैं। फेफड़ों की टीबी का पता लगाना आसान है और इसके लिए कई तरह की जांचें उपलब्ध हैं, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों की टीबी का पता लगाना मुश्किल है।
अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से खांसी आ रही है या कोई असामान्य लक्षण दिखाई दे रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेकर उपचार करवाना चाहिए। अगर डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा से आराम नहीं मिलता है तो लोगों को पल्मोनोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। भारत में टीबी के खत्म न होने का एक बड़ा कारण मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) है।
इसमें लोगों पर सामान्य उपचार काम नहीं करता और इसके लिए अलग से उपचार करवाना पड़ता है। लोग टीबी को लेकर लापरवाह हैं और समय पर जांच न होने की वजह से टीबी के मामले लाखों में हैं।
Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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