Fatty Liver: लोगो की इस भागदौड़ भरी लाइफ में, उनका लाइफस्टाइल काफी बदल जाता है और ज्यादातर लोग गलत खानपान की ओर बढ़ने लगते है जिसकी वजह से उन्हें लीवर की प्रोब्लम होने लगती है, फैटी लिवर जैसी बीमारी एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ जाती है. फैटी लिवर बीमारी के दो प्रकार होते हैं, एल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारी और नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारी. आज हम आपको बताएंगे कि कैसे आपको फैटी लिवर बीमारी का पता चल सकता है , और कौनसे ऐसे संकेते होते है जो इस बीमारी के घातक रूप के बारे में बताते हैं।
लिवर में जब बहुत अधिक मात्रा में फैट जमा होने लगता है, तो फैटी लिवर की बीमारी का सामना करना पड़ता है. जैसे की आप जानते है कि लिवर हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो हमारे खून में केमिकल्स क् लेवल को रेगुलेट करने में काफी मद्द करता है और बाइल नाम के प्रोडक्ट का उत्पादन करता है, जोकि लिवर में मौजूद खराब पदार्थी को बाहर निकालने मे मद्द करता है। यह तक कि लिवर हमारे शरीर के लिए प्रोटीन का निर्माण, आयरन को स्टोर करने में और पोषक तत्वों को एनर्जी में बदलने का काम करता था। बता दें कि जब हमारे लिवर में फैट की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है तो लिवर हमारा लिवर सामान्य कामकाज को प्रभावित करने लगता है, जिसे हमें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
लोगों का लिवर दो तरह से प्रभावित होता पहला जो लोग अधिक मात्रा में शरब पीते है, जिसकी वजह से उन लोगों का लिवर धीरें-धीरें प्रभावित होने लगता है. लेकिन जो लोग शराब नहीं पीते उनका लीवर भी फैटी लिवर बीमारी का शिकार हो जाता है. शराब का सेवन करना या तो बिल्कुल भी नहीं करना या बहुत कम मात्रा में करना. दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति को लिवर सिरोसिस के खतरे का सामना करना पड़ सकता है, जो कि लिवर डैमेज की एडवांस स्टेज होती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जिन लोगों को इस बीमारी का सामना करना पड़ता है. जिनका लिवर नॉन-एल्कोहॉलिक रुप से डैमेज हो जाता है और नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस के विकास का कारण भी बन जाता है, जो इस बीमारी का एक खतरनाक रूप साबित होता है. जिससे सिरोसिस की समस्या हो सकती है. बता दें कि नॉन एक्कोहॉलिक फैटी लिवर और नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस इस बीमारी की एक बड़ी दिक्कत सिरोसिस की ओर ले जाती है, जिसे लिवर डैमेज की लेट स्टेज भी कहा जाता है।
जब फैटी लिवर की वजह से लिवर डैमेज हो जाता है तो सिरोसिस की समस्या होती है, जिसकी वजह से नॉन एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस में सूजन आ जाती है. जब लीवर उस सूजन को रोकने की कोशिश करता है तो उस दौरन लिवर डैमेज का खतरा काफी बढ़ जाता है. जिसका असर लिवर टिशू में देखने को मिलता है।
– फैटी लिवर की प्रॉब्लम में पेट की ऊपर दाहिने ओर दर्द होता है।
– भूख कम होने लगती है और कुछ लोगों का वजन भी तेजी से गिरने लगता है।
– आंखों का रंग पीला होने लगता हैं।
– पैरों में हल्की सूजन बनी रहती है।
– हर वक्त थकान और कमजोरी का एहसास होता रहता है।
अगर आपके शरीर में इनमें से कोई भी लक्षण ज्यादा दिनों तक बने हुए है, तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं। जरूरी दवाइयों का सेवन करें। साथ ही साथ खानपान में भी परहेज करें।अगर आप शराब का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं, तो तुरंत इसे छोड़ दें वरना परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है। अगर आपका वजन ज्यादा है तो इसे एक्सरसाइज और डाइट से कंट्रोल करें। जिससे फैटी लिवर की समस्या खुद ही खत्म हो जाएगी। बैलेंस डाइट लें और तला- भुना मसालेदार खाना बिलकुल अवॉयड करें।
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