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आती हुई मौत को टाल देंगे ये 5 टेस्ट, Cancer जैसी बीमारी की भी खैर नहीं!

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 9, 2024, 1:49 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), How To Diagnose Cancer: कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिसे लोग अक्सर जीवन का अंत मान लेते हैं। इसका कारण केवल कैंसर का खतरनाक होना नहीं, बल्कि इसके शुरुआती चरणों में पहचान न हो पाना भी है। कैंसर का इलाज शुरुआती स्टेज पर ही शुरू हो जाए तो इसे पूरी तरह ठीक करना संभव हो सकता है। इसी उद्देश्य से वैज्ञानिकों ने ऐसे ब्लड टेस्ट विकसित किए हैं, जिनकी मदद से कैंसर की प्रारंभिक पहचान की जा सकती है। यहां हम कुछ प्रमुख ब्लड टेस्ट की जानकारी दे रहे हैं, जो कैंसर की शुरुआती जांच में सहायक होते हैं।

1. सीए-125 (CA-125)

सीए-125 (कैंसर एंटीजन) एक प्रकार का प्रोटीन है, जिसका स्तर ओवेरियन कैंसर के मरीजों में बढ़ा हुआ पाया जाता है। इस प्रोटीन की मात्रा ब्लड टेस्ट के जरिए मापी जा सकती है। महिलाओं के लिए यह टेस्ट विशेष रूप से जरूरी है क्योंकि यह ओवेरियन कैंसर के शुरुआती चरणों में ही इसका पता लगाने में मदद करता है। इस टेस्ट से कैंसर को प्रारंभिक अवस्था में पकड़ने का मौका मिलता है, जब इसका उपचार प्रभावी होता है।

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2. पीएसए (PSA)

पीएसए (प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन) टेस्ट प्रोस्टेट कैंसर की पहचान के लिए किया जाता है। यह टेस्ट पुरुषों के लिए खासतौर पर महत्वपूर्ण है, जिसमें ब्लड में पीएसए के स्तर को मापा जाता है। अगर इस एंटीजन का स्तर सामान्य से अधिक होता है, तो यह प्रोस्टेट में समस्या या कैंसर का संकेत हो सकता है। 50 वर्ष की आयु के बाद हर पुरुष को यह टेस्ट नियमित रूप से करवाना चाहिए, ताकि प्रोस्टेट कैंसर का पता समय पर चल सके।

3. सीए-19-9 (CA 19-9)

सीए-19-9 एक प्रकार का ट्यूमर मार्कर है, जो ब्लड में पाया जाता है। इसके बढ़े हुए स्तर से पैंक्रियाटिक कैंसर या अन्य गैस्ट्रिक समस्याओं का पता चल सकता है। यह ब्लड टेस्ट, जिसे सीए 19-9 रेडियोइम्यूनोएसे कहा जाता है, पैंक्रियाज (अग्न्याशय) और अन्य गैस्ट्रिक समस्याओं की पहचान के लिए किया जाता है।

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4. एएफपी (AFP – Alpha-fetoprotein)

एएफपी टेस्ट मुख्य रूप से लिवर कैंसर और कुछ प्रकार के टेस्टीकुलर कैंसर की पहचान में मदद करता है। यह टेस्ट उन लोगों के लिए जरूरी होता है, जो लिवर की पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं। एएफपी के बढ़े हुए स्तर से लिवर या अन्य कैंसर का पता लगाया जा सकता है, जिससे इलाज की दिशा में समय रहते कदम उठाए जा सकते हैं।

5. ट्रिप्टेस (Tryptase)

ट्रिप्टेस एक एंजाइम है, जो मस्तिष्क में मौजूद मास्ट सेल्स द्वारा उत्पादित होता है। इस टेस्ट के जरिए ब्लड में ट्रिप्टेस के स्तर को मापा जाता है, जिससे मस्त सेल ल्यूकेमिया (Mast Cell Leukemia) और अन्य प्रकार के ब्लड कैंसर की पहचान की जा सकती है। ब्लड कैंसर के प्रारंभिक संकेत मिलने पर तुरंत इलाज संभव हो सकता है।

कैंसर की जल्द पहचान क्यों है जरूरी?

कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते, जिसकी वजह से इसकी पहचान देर से होती है। लेकिन इन ब्लड टेस्ट की मदद से कैंसर के शुरुआती चरणों में ही इसका पता लग सकता है, जिससे इलाज अधिक सफल हो सकता है।

समय पर टेस्ट कराने से न केवल कैंसर का पता चलता है, बल्कि जीवन को बचाने के बेहतर मौके भी मिलते हैं। इसलिए, नियमित रूप से ब्लड टेस्ट कराना और स्वास्थ्य की जांच करवाना कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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