दुनियाभर को अपने चपेट में लेने वाली कोरोना महामारी और पश्चिमी देशों में 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होने वाली भूलने की बीमारी अल्जाइमर के साझा खतरे की पहचान करने में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है।
साइंटिस्टों ने एक ऐसे एंटी वायरल जीन की पहचान की है, जो अल्जाइमर और गंभीर कोरोना संक्रमण के खतरे पर असर डाल सकता है।
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में हुई स्टडी के अनुसार, अनुमान है कि ओएएस1 नामक जेनेटिक टाइप का जीन 3 से 6 प्रतिशत लोगों में अल्जाइमर (Alzheimer’s) के खतरे को बढ़ा देता है।
स्टडी में ये भी पता चला है कि ये जीन गंभीर कोरोना संक्रमण के खतरे को भी बढ़ा सकता है। इस स्टडी के नतीजों को ब्रेन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
यूसीएल के क्वीन स्क्वायर इंस्टीट्यूट आफ न्यूरोलॉजी और यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख रिसर्चर डॉ. डेर्विस सालिह का कहना है कि अल्जाइमर बीमारी मुख्य रूप से ब्रेन में हानिकारक एमलाइड प्रोटीन के जमा होने से होती है।
ब्रेन में सूजन भी इसका एक बड़ा कारक बनता है, जो इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली के महत्व को जाहिर करता है। डॉ सालिह ने आगे बताया कि हमने रिसर्च में पाया है कि अल्जाइमर बीमारी और कोरोना वायरस (कोविड-19) दोनों में प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम में लगभग समान बदलाव हो सकता है।
डॉ सालिह कहते हैं कि कोरोना के सीरियस इंफेक्शन वाले मरीज के ब्रेन में भी बदलाव हो सकता है। यहां हमने एक जीन की पहचान की है, जो एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया यानी इम्यून रिस्पांस को बढ़ाने में योगदान दे सकता है और इससे अल्जाइमर और कोरोना दोनों का खतरा बढ़ जाएगा। रिसर्चर्स ने यह निष्कर्ष 2,547 लोगों के जेनेटिक डेटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला है।
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