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दालचीनी संग अर्जुन की छाल का ये काढ़ा दिल के रोगियों के लिए नहीं है किसी वरदान से कम, अंतोल हैं इसके फायदे?

India News (इंडिया न्यूज़), Decoction of Arjuna bark with cinnamon: आयुर्वेद में सदियों से हृदय रोगों के उपचार के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग होता आ रहा है। उनमें से एक बेहद प्रभावी उपाय है दालचीनी और अर्जुन की छाल का काढ़ा। यह काढ़ा हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है और दिल से जुड़ी समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद करता है। आइए विस्तार से जानें इसके फायदे और उपयोग।

अर्जुन की छाल: हृदय रोगों का रामबाण

अर्जुन (Terminalia arjuna) का पेड़ भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख रूप से पाया जाता है और आयुर्वेद में इसका विशेष महत्व है। अर्जुन की छाल को हृदय संबंधी रोगों में उपयोगी माना जाता है। इसमें टैनिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स, और ग्लाइकोसाइड्स जैसे महत्वपूर्ण यौगिक होते हैं, जो दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।

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अर्जुन की छाल के प्रमुख फायदे:

  1. हृदय की सुरक्षा: अर्जुन की छाल दिल की मांसपेशियों को मजबूती देती है और हृदय की रक्त संचार प्रक्रिया को सुचारू बनाती है।
  2. कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना: अर्जुन की छाल शरीर में LDL (खराब) कोलेस्ट्रॉल को कम करने और HDL (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करती है।
  3. ब्लड प्रेशर नियंत्रण: यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में भी कारगर होती है, जिससे हृदय की सेहत बनी रहती है।
  4. हृदय रोगों के जोखिम को कम करना: हृदय की धमनियों में जमा होने वाली प्लाक और ब्लॉकेज को कम करने में मददगार होती है।

दालचीनी: शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण

दालचीनी (Cinnamomum verum) एक अद्भुत मसाला है जो न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी अनेक हैं। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं।

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दालचीनी के प्रमुख लाभ:

  1. कोलेस्ट्रॉल कम करना: दालचीनी शरीर में LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है, जो दिल की सेहत के लिए आवश्यक है।
  2. ब्लड शुगर नियंत्रित करना: दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम कम होता है।
  3. सर्दी और संक्रमण से बचाव: इसके एंटीबैक्टीरियल गुण सर्दी, खांसी और संक्रमण से भी बचाते हैं।
  4. एंटीऑक्सीडेंट: दालचीनी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं और दिल की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

दालचीनी और अर्जुन की छाल का काढ़ा कैसे बनाएं?

यह काढ़ा बनाना बेहद आसान है और इसे नियमित रूप से सेवन करने से हृदय के लिए काफी लाभ हो सकता है।

सामग्री:

  • 1 चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर
  • 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर
  • 2 कप पानी
  • शहद या गुड़ (स्वादानुसार)

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विधि:

  1. एक पैन में 2 कप पानी लें और उसमें अर्जुन की छाल का पाउडर डालें।
  2. इसे धीमी आंच पर 10-15 मिनट तक उबालें।
  3. जब पानी आधा रह जाए, तब इसमें दालचीनी पाउडर डालें और 2-3 मिनट और उबालें।
  4. आंच बंद कर दें और काढ़े को छान लें।
  5. इसमें शहद या गुड़ मिलाकर सेवन करें।

दालचीनी-अर्जुन काढ़े के नियमित सेवन से होने वाले लाभ:

  1. हृदय की धमनियों में अवरोध कम: यह काढ़ा धमनियों में जमने वाले प्लाक और अन्य रुकावटों को दूर करने में सहायक होता है।
  2. दिल की मांसपेशियों को मजबूती: अर्जुन की छाल दिल की मांसपेशियों को मजबूती देकर हार्ट अटैक के जोखिम को कम करती है।
  3. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना: दालचीनी और अर्जुन की छाल दोनों ही ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं, जिससे दिल की सेहत सुधरती है।
  4. एंटीऑक्सीडेंट से दिल की सुरक्षा: काढ़े में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स दिल की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

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कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ:

  • गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं इसका सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
  • अधिक मात्रा में दालचीनी का सेवन हानिकारक हो सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही सेवन करें।
  • अगर आप किसी अन्य दवा का सेवन कर रहे हैं या किसी बीमारी से ग्रसित हैं, तो काढ़ा लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।

निष्कर्ष:

दालचीनी और अर्जुन की छाल का काढ़ा हृदय रोगियों के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी उपचार है। इसके नियमित सेवन से हृदय की सेहत में सुधार होता है और कई हृदय संबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है। हालांकि, किसी भी औषधीय उपाय को शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Prachi Jain

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