India News (इंडिया न्यूज), Parrot Fever: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इस साल की शुरुआत से अब तक पैरेट फीवर से यूरोप में 5 लोगों की मौत हो चुकी है। हाल ही में यूरोप में पैरेट फीवर नामक एक संक्रामक बीमारी का प्रकोप देखा गया है।
पैरेट फीवर को सिटाकोसिस (Psittacosis) भी कहा जाता है, जोकि ‘चिटेक्लेमिया साइटासी’ नामक बैक्टीरिया से फैलता है। यह बैक्टीरिया तोते, गौरैया और कबूतरों जैसे पक्षियों में पाया जाता है। इस तरह की संक्रमित बीमारी कि सबसे खास बात है कि संक्रमित पक्षी आमतौर पर बीमार दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन वे मल त्यागने या सांस लेने के दौरान इस बैक्टीरिया को हवा में छोड़ देते हैं।
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDCP) के अनुसार, व्यक्ति आम तौर पर संक्रमित पक्षी के मल या अन्य स्रावों से निकलने वाले धूल को सांस के जरिए अंदर लेने से ग्रसित हो जाते हैं। या फिर अगर कोई संक्रमित पक्षी किसी को काट ले या चोंच से सीधा संपर्क हो जाए तब भी यह बीमारी फैल सकती है।
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यूरोप(Europe) के कई देश इस बीमारी (Parrot disease) की चपेट में आ गए हैं। डेनमार्क(Denmark) में 27 फरवरी तक 23 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 4 लोगों की मौत हो गई है।ऑस्ट्रिया(Austria) में 2023 में 14 मामले दर्ज किए गए और इस साल 4 मार्च तक के आंकड़ों में 4 नए मामले सामने आए हैं। वहीं जर्मनी(Germany) में इस साल तोते के बुखार के 5 मामले सामने आए हैं, जबकि 2023 में ऐसे 14 मामले दर्ज किए गए थे। नीदरलैंड्स(Netherslands) में जहां हर साल औसतन 9 मामले सामने आते हैं, वहीं दिसंबर के आखिर में इस साल 29 फरवरी के बीच 21 मामले सामने आए हैं. यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में 2गुना है।
पैरेट फीवर बीमारी के लक्षण अमूमन संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने के 5 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं। आमतौर पर इसके लक्षणों में मांसपेशियों में दर् , सिरदर्द, बुखार, सूखी खांसी और कंपन शामिल हो सकते हैं। वहीं कुछ मामलों में, यह बीमारी निमोनिया और दिल की समस्याओं का कारण भी बन सकता है
पैरेट फीवर एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो सकता है। यह टेट्रासाइक्लिन या एंटीबायोटिक्स- डॉक्सीसाइक्लिन हैं। जो क्लैमाइडिया सिटासी को लेकर प्रभावी होते हैं। यदि आपको इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
– तोते और अन्य पक्षियों के संपर्क (contact) में आने से बचें.
– यदि आपको पक्षियों से संपर्क करना ही है, तो मास्क(Mask) और दस्ताने(Gloves) पहनें.
– पक्षियों के मल और पंखों से दूरी बनाए रखें.
– अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं.
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