इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
खान-पान का ध्यान रखने और उसके साथ नियमित योगाभ्यास करने से शरीर स्वस्थ रहता है। कोरोना काल में अच्छी सेहत और मजबूत इम्यूनिटी बहुत जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि आप सही मात्रा में सही पोषण लें और कुछ सूक्ष्म अभ्यासों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। ज्यादा देर तक एक जगह बैठकर काम करने वाले लोगों को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए छोटे-छोटे योग जरूर करने चाहिए। इन दिनों घंटों एक जगह बैठकर वर्क फ्रॉम होम करने वाले लोगों का स्वास्थ्य काफी बिगड़ रहा है। उनसें सबसे ज्यादा स्ट्रेस नजर आ रहा है। ऐसे में काम के बीच में कुछ मिनटों को ब्रेक लेकर शरीर को स्ट्रेच जरूर करें। योग करते समय श्वास-प्रश्वास का ध्यान रखें।
सुखासन को हठ योग के सबसे साधारण और सरल आसनों में से एक माना जाता है। सुखासन का शाब्दिक अर्थ सुख से बैठना है। ‘सुखासन’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द है सुख जिसका अर्थ ‘आराम’ या ‘आनंद’ है जबकि आसन का अर्थ बैठना होता है। सुखासन को ईजी पोज/डीसेंट पोज या प्लीजेंट पोज भी कहा जाता है। ये शरीर और दिमाग के बीच शांति और स्थिरता की भावना विकसित करता है। ये दिमाग को शांति देता है। इसके अभ्यास से थकान, स्ट्रेस, टेंशन, एंग्जाइटी और डिप्रेशन को दूर करने में मदद मिलती है। इसके नियमित अभ्यास से लंग्स और कॉलर बोन्स चौड़े हो जाते हैं। सुखासन के अभ्यास से शरीर का संतुलन सुधरता है। इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी सीधी सही रहती है। सुखासन से पीठ को मजबूत और सख्त बनाने में मदद मिलती है। इस आसन को करने से घुटनों और टखनों को अच्छा खिंचाव मिलता है।
सबसे पहले योगा मैट पर बैठ जाएं और अपने पैरों को सामने की ओर फैला कर सीधा कर लें। अपनी कमर को सीधी रखें। इसके बाद अपने हाथों को अपनी जांघों पर रख लें। अब अपने पैरों के पंजे और पैर की उंगलियों को पहले श्वास लेते हुए शरीर की तरफ मोड़ें, फिर सांस छोड़ते हुए इन्हें दूसरी ओर झुकाएं। दरअसल, जिन लोगों को चलने की वजह से पैरों, एड़ियों और पंजों में दर्द की शिकायत रहती है, उन्हें ये अभ्यास करने से बहुत आराम मिलता है। अगर आप ज्यादा देर सीधे नहीं बैठ पाते तो इस अभ्यास को करते समय पीछे की ओर जमीन पर हाथ टिका सकते हैं। कुछ देर ऐसा करने के बाद आप पैरों को अपनी जगह पर रखे हुए ही क्लॉक वाइज घुमाएं।
इसके बाद अपने पैरों को रिलेक्स छोड़ दें। अब अपने छुटनों को अपने पैरों के पास लेकर आएं और हाथों की मदद से उन्हें अपनी जाघों को और पेट को सटाएं। इसके बाद वापस अपने पैरों को फैला लें। फिर वापस पैरों को ऊपरी शरीर के पास लेकर आएं। इस अभ्यास को दोहराएं। पैरों को दूर ले जाते समय सांस लें और पास लाते हुए सांस छोड़ें। ऐसा करने से भी आपके पैर मजबूत होते हैं।
बटरफ्लाई आसन को तितली आसन भी कहते हैं। महिलाओं के लिए ये आसन विशेष रूप से लाभकारी है। बटरफ्लाई आसन करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं। दोनों हाथों से अपने दोनों पांव को कस कर पकड़ लें। सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं। एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें। लंबी,गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घटनों एवं जांघो को जमीन की तरफ दबाव डालें। तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें। धीरे धीरे तेज करें। सांसें लें और सांसे छोड़ें। शुरुआत में इसे जितना हो सके उतना ही करें। धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
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