Toxic Shock Syndrome एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के लिए बहुत खतरनाक है। ये स्टैफिलोकोकस ऑरियस या स्टैफ नाम के बैक्टीरिया के बहुत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से होता है। ये बैक्टीरिया महिलाओं के शरीर में ही पाया जाता है। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम आमतौर पर पीरियड्स के समय महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है, खासतौर से उन महिलाओं को जो टैम्पोन को इस्तेमाल करतीं हैं। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम में ब्लड प्रेशर तेजी से कम होने लगता है। इसकी वजह से शरीर में सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है जिससे मौत भी हो सकती है। अमेरिका की 24 साल की एक मॉडल लॉरेन वासेर को 2012 में ये बीमारी हुई थी। लॉरेन के शरीर में विषाक्त पदार्थ इतना ज्यादा हो गया था कि वो अपना पैर भी नहीं उठा पा रही थीं। आखिरकार उन्हें अपनी एक टांग कटवानी पड़ी थी।

 Toxic Shock Syndrome को मेन्स्ट्रुअल स्पॉन्ज, डायाफ्राम और सर्वाइकल कैप से भी जोड़ा गया है। बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद भी महिलाओं में टॉक्सिक शॉक होने की संभावना बढ़ जाती है। ये उन पुरुषों और महिलाओं को हो सकता है जो सर्जरी, जलने, खुले घाव या नकली उपकरण के उपयोग के दौरान स्टैफ बैक्टीरिया के संपर्क में आए हों।

टॉक्सिक शॉक के एक तिहाई से अधिक मामले 19 साल से कम उम्र की महिलाओं में पाए जाते हैं। वहीं 30% महिलाओं में ये बीमारी दोबारा हो जाती है। इस बीमारी की वजह से दिल और फेफड़े भी काम करना बंद कर देते हैं। टॉक्सिक शॉक से जुड़े लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और इसके इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

Toxic Shock Syndrome के लक्षण

अचानक तेज बुखार आना, ब्लड प्रेशर कम हो जाना, डायरिया, हथेली और तलवे पर रैशेज होना, भ्रम की स्थिति, मांसपेशियों में दर्द, लाल मुंह-आंखें, दौरे पड़ना और सिर दर्द इसके आम लक्षण हैं। अगर आप पीरियड्स के समय टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं और इस दौरान आपको तेज बुखार या फिर उल्टी महसूस होती है तो आपको तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।

Toxic Shock Syndrome के कारण

स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया शरीर में एक तरह का जहर बनाता है जिसकी वजह टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम होता है। ये बैक्टीरिया कई स्टैफ बैक्टीरिया में से एक है जो जले हुए मरीजों या फिर उन लोगों में स्किन इंफेक्शन पैदा करता है जिनकी सर्जरी हुई हो। स्टैफ एक ऐसा बैक्टीरिया है जो महिलाओं की वजाइना में मौजूद होता है लेकिन आमतौर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। टैम्पोन की वजह से इस बैक्टीरिया को शरीर में फैलने का मौका मिल जाता है। इसके बाद ये बैक्टीरिया जहर बनाना शुरू कर देता है जो धीरे-धीरे खून में मिल जाता है। आप किस चीज से बने टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं, ये भी काफी हद तक मायने रखता है। सूती या रेयान फाइबर की तुलना में पॉलिएस्टर फोम से बने टैम्पोन बैक्टीरिया को बढ़ने का वातावरण देते हैं। वजाइना में बहुत देर तक मेन्स्ट्रुअल स्पॉन्ज रखने से भी स्टैफ बैक्टीरिया पैदा होते हैं।

कैसे पता लगाएं

डॉक्टर कई तरीके से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का पता लगाते हैं। डॉक्टर्स इसके लिए ब्लड या यूरीन सैंपल की जांच करते हैं, वजाइना, सर्विक्स या गले का स्वैब लेते हैं। शरीर के दूसरे अंगों पर इस बैक्टीरिया का कितना असर पड़ा है ये जानने के लिए सीटी स्कैन या चेस्ट एक्स-रे भी करा सकते हैं।

Toxic Shock Syndrome का इलाज

आमतौर टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने की दवाएं और शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए तरल पदार्थ भी दिए जा सकते हैं। इसका इलाज बहुत हद तक इस पर निर्भर करता है कि शरीर में ये सिंड्रोम अपने किस स्टेज पर है। इसलिए टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के शुरूआती लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है।

Also Read : How Will The Lack Of Protein In The Body Be Removed ये चीजें खाएंगे तो शरीर में नहीं होगी प्रोटीन की कमी

Connect With Us:- Twitter Facebook