इंडिया न्यूज (Triphala Powder Benefits):
त्रिफला पाउडर को आयुर्वेद में शरीर के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। आमतौर पर लोग त्रिफला को कब्ज निवारक के रूप में जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इसके और भी फायदे हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार की पेट संबंधी समस्या है तो आपके लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन बहुत गुणकारी रहेगा। पेट के अलावा इसे खाने से कई रोगों में राहत मिलती है। तो आइए जानते हैं त्रिफला पाउडर क्यों है लाभकारी और कैसे बनाया जाता है ये पाउडर।
आमतौर पर त्रिफला के पाउडर को हरड़, बहेड़ा और आंवला को समान भाग में मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे जब घर में तैयार किया जा रहा हो तो अपने शरीर की समस्या को देखते हुए तैयार करें। जैसे जब शरीर के अंदर गैस बन रही हो या पित दोष बढ़ गया हो, तो ऐसी स्थिति में त्रिफला के अंदर बाकी चीजों की तुलना में हरड़ की मात्रा अधिक रखें। सिर, छाती, नाक और गले में कफ अधिक भर गया हो। तो त्रिफला बनाते समय इसमें बहेड़ा की मात्रा ज्यादा लें। शरीर में पित्त या एसिड की मात्रा बढ़ जाए तो त्रिफला चूर्ण बनाते समय आंवला की मात्रा को बढ़ा दें।
एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण नियमित लिया जाए तो चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं। शरीर को अंदर से मजबूती मिलती है। अगर किसी को खाने में अरुचि महसूस होती है तो, खाना अच्छी तरह डायजेस्ट नहीं हो रहा हो या गैस की समस्या रहती हो, तो रोजाना रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। यह पाउडर कब्ज को दूर करने का काम करता है। बढ़े हुए वजन को कम करता है। रिसर्च कहती है जिन लोगों ने नियमित रूप से छोटी मात्रा में त्रिफला चूर्ण लिया है उनके वजन में लगातार कमी आई। यह चूर्ण ब्लड शूगर के लेवल को कंट्रोल में रखती है।
महिलाओं में जब वाइट डिस्चार्ज यानी ल्यूकोरिया की समस्या बढ़ जाती है, तो ऐसी स्थिति में छाछ में जीरे का पाउडर और त्रिफला चूर्ण मिलाकर रोज पीने का अच्छा असर होगा। वाइट डिस्चार्ज कम हो जाएगा। इंफेक्शन और इचिंग की समस्या भी कम हो जाएगी। यदि बालों में डैंडफ्र की समस्या या पतले होकर झड़ रहे हों या बाल समय से पहले सफेद हो गए हो या किसी के बाल एलोपेशिया की वजह से बाल झड़ रहे हैं, तो त्रिफला के क्वाथ को शिकाकाई के साथ मिक्स करके बाल धोएं। इससे बालों की समस्याएं दूर होगी।
अगर आपके शरीर में किसी तरह का जख्म हो गया है तो एक चम्मच त्रिफला पाउडर को एक गिलास पानी में डालकर गरम करें। जब पानी एक-चौथाई मात्रा में बच जाए, तो इस तरह से तैयार क्वाथ यानी काढ़ा से घाव को साफ करना चाहिए। ऐसा करने से घाव में पस नहीं पड़ता और यह जल्दी भर जाता है। यदि कोई घाव जल्दी नहीं भर रहा हो तो त्रिफला में गाय का घी मिक्स करके उसे घाव पर लगाएं। इस मिश्रण को बैंडेज से बांध दें। घर में बनाने के बजाय बाजार में मिलने वाले रेडीमेड त्रिफला घी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मुंह के अंदर अल्सर होने पर, गले से खाना निगलने में कठिनाई महसूस होने पर या फिर टॉन्सिल के बड़े होने पर त्रिफला के पानी का इस्तेमाल अच्छा साबित होता है। एक चम्मच त्रिफला पाउडर को एक गिलास पानी में भिगो दें। दूसरे दिन इस पानी को आधा हो जाने तक उबालें। इसे ठंडा करके छान लें। इस पानी को मुंह के अंदर थोड़े समय तक भरकर रखें या मुंह के अंदर रखकर गरारे करें। इससे मुंह के अल्सर और टॉन्सिल में फायदा होगा।
पहली बार त्रिफला लेने वालों को डायरिया या लूज मोशन हो सकता है लेकिन इससे डरे नहीं। इससे बॉडी की गंदगी निकलती है। यदि कोई व्यक्ति ब्लड थिनिंग मेडिसिन जैसे वारफेरिन ले रहा हो, तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसको लें। टीबी या किसी दूसरी बीमारी के कारण शरीर में कमजोरी बढ़ जाती है या गर्भावस्था के अंदर त्रिफला लेने से बचना चाहिए।
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