Various Types Of Depression हममे में अधिकतर लोग ऐसे हैं जो लाइफ में कभी न कभी डिप्रेशन के शिकार हुए हैं। दरअसल, यह मानसिक तौर से जुड़ा हुआ एक रोग है जिसका यदि समय पर इलाज न कराए जाए तो समय के साथ बढ़ता जाता है और एक समय इतनी निराशा और हताशा आ जाती है कि उसे अपने सामने सिर्फ अंधकार ही नजर आता है।
इस अवस्था से रोगी को नॉर्मल लाइफ में लौटने में काफी मुश्किल आ सकती है और कई बार सुसाइड करने की टेंडेंसी आ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर ही हम इसे पहचानें और इससे उबरने के लिए लोगों की मदद लें। मेडटॉक्स के मुताबिक, यह एक ऐसी अवस्था है जब व्यक्ति का मन और दिमाग नेगेटिविटी, चिंता, तनाव और उदासी से भर जाता है और उसकी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है और वह कहीं खोया-खोया रहने लगता है। यह भंयकर रुप तब ले लेता है जब इंसान लंबे समय तक इस अवस्था में रहता है।
डब्लूएचओ के मुताबिक, इस समय पूरी दुनिया में लगभग 264 मिलियन लोग डिप्रेशन के शिकार हैं। यही नहीं, दुनियाभर में जितने भी शारीरिक और मानसिक रोग पनप रहे हैं उनका प्रमुख कारण डिप्रेशन ही है।
अगर आप सप्ताह में हर दूसरे दिन डिप्रेस फील करें तो इसे मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर कहा जाता है। ऐसे में लोग हर दूसरे दिन उदास महसूस करते हैं। अगर अन्य लक्षणों की बात करें तो इनमें रुचि या दैनिक गतिविधियों की कमी, वजन तेजी से कम होना या तेजी बढ़ना, नींद न आना, बेचैनी और उत्तेजना महसूस करना, हर वक्त थका हुआ महसूस करना, गिल्ट फील करना, आत्महत्या के विचार और हर वक्त हारा हुआ जैसा महसूस करना लगता है। अगर इनमें से 5 लक्षण भी आपमें हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि आपको मेलानकॉलिक डिप्रेशन है तो सुबह उठने के ठीक बाद आपमें मेजर डिप्रेशन के लक्षण नजर आएंगे। यह सेहत के लिए और भी खतरनाक हो सकता है।
अगर आप दो साल या उससे अधिक समय से अवसाद में हैं तो आप लगातार परसिसटेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। इस डिसऑर्डर में दो स्थितियां होती हैं जिन्हें डिस्टीमिया और क्रोनिक मेजर डिप्रेशन कहा जाता है।
ऐसा होने पर या तो भूख बिलकुल नहीं लगती या जरूरत से अधिक खाने लगते हैं। इसके अलावा नींद भी बहुत ज्यादा या बहुत कम हो जाती है। कमजोरी, सेल्फ हेटनेस, लो कॉनसन्ट्रेशन, निराशा आदि महसूस होता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर में मूड में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। यह भयानक डिप्रेशन का रूप भी ले सकता है। ऐसी स्थिति में मेडिकेशन जरूरी होती है।
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर अक्सर सर्दियों के महीनों में देखने को मिलता है। जबकि गर्मी या अन्य खुशगवार मौसम में इससे राहत रहती है। इन मरीजों को डाक्टर की सलाह के बाद दवाई लेना मददगार साबित होता है और थेरेपी भी हेल्पफुल होती है।
ऐसे लोग मानसिक अवसाद से घिरे होते हैं जो किसी घटना की वजह से भी हो सकता है। इसके लक्षण हैं अजीब-अजीब से सपने आना, भ्रम होना, पागलपन आदि। इन्हें भी दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है।
कई महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद महीनों तक अवसाद होता है जो कई बार मां और बच्चे की सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसका सबसे बेहतर उपाय है परिवार का साथ, केयर और प्यार. इनके अभाव में ही महिलाएं डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं।
(Various Types Of Depression)
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