India News(इंडिया न्यूज), Brain Eating Amoeba : इन दिनों एक कीड़ा दहशत की वजह बना हुआ है, जो दिमाग को खा जाता है। इस कीड़े से हुए संक्रमण ने अब तक 3 जानें ले ली हैं। इस कीड़े की वजह से मौतों का का मामला केरल (Kerala) के कोझिकोड से सामने आया है, जहां पर दूषित पानी में रहने वाला अमीबा, बच्चों के लिए जानलेवा बन गया है। पूरे राज्य में मई महीने से ये घातक संक्रमण फैल रहा है। जिसकी वजह से बीमार हो चुके हैं और कई बच्चों की जान जा चुकी है। आगे जानें क्या है ये कीड़ा और किस तरह फैलता है इसका संक्रमण?
क्या है Brain Eating Amoeba?
दिमाग खाने वाला कीड़ा असल में पानी में पाया जाने वाला अमीबा है, जो बिना माइक्रोस्कोप देखा नहीं जाता है। दूषित पानी में पाए जाने वाले इस अमीबा को साइंटफिक भाषा में नेगलेरिया फाउलेरी के नाम से जाना जाता है। मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये ब्रेन ईटिंग अमीबा दिमाग में जाकर व्यक्ति के ब्रेन टिश्यूज को डैमेज कर देता है और इसके एक घातक संक्रमण पैदा होता है। इस कीड़े के हमले से होने वाले संक्रमण को ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस’ (PAM) कहा जाता है। ये कीड़ा अब तक 3 बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो चुका है।
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शरीर में कैसे घुसता है ये कीड़ा?
नेगलेरिया फाउलेरी नाम का ये अमीबा मुख्य रूप से गर्म मीठे पानी की झीलों, नदियों, नहरों या तालाबों के दूषित हो चुके पानी में पाए जाते हैं। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक ये अमीबा ब्रेन तक सभी पहुंच पाता है, जब ये नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके शरीर में घुसने के 1 से 12 दिनों के अंदर संक्रमण के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
क्या हैं इसके लक्षण?
- तेज और लंबे समय से सिरदर्द
- उल्टी आना
- गर्दन में अकड़न
- लाइट से आंखों में परेशानी
- भूख नहीं लगना
- कई केसेस में मरीज को दौरे पड़ते हैं
- बेहोशी
- आखों से धुंधल नजर आता है
- मतिभ्रम की हालत हो जाती है
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कैसे करें बचाव?
दिमाग खाने वाला कीड़ा रुके हुए पानी में पाया जाता है। इसलिए ऐसी जगहों से दूर रहें, जहां साफ और रुका हुआ पानी जमा हो। इसमें नदी, तालाब, झरनों या फिर स्वीमिंग पूल भी हो सकता है। ऐसी जगहों पर नहाने से बचें, क्योंकि ये नाक से दिमाग में प्रवेश करता है।