इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देश 2020 से कोरोना वायर से जंग लड़ रहे हैं। कई देशों में कोराना की तीन लहरें आ चुकी हैं, वहीं भारत में भी सितम्बर महीने के आखिर तक थर्ड वेव की आशंका है। इससे पहले ही केरल में निपाह वायरस ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। फिलहाल केरल अकेला एक ऐसा राज्य है, जो 2 अलग-अलग संक्रमणों से जूझ रहा है। ऐसे में बहुत से लोगों के निपाह वायरस को लेकर भी सवाल है। आज हम आपको बता रहे हैं कोरोना और निपाह वायरस में क्या समानताएं और क्या असमानताएं होती हैं-
निपाह वायरस की पहचान साल 1999 में की गई थी और इसका नाम मलेशिया के एक गांव सुंगई निपाह के नाम पर रखा गया था। इसे एक जूनोटिक संक्रमण माना जाता है। एक ऐसा संक्रामक रोग जो प्रजातियों के बीच, जानवरों से इंसानों में या इंसानों से जानवरों में फैलता है। इसका संक्रमण सुअर, फ्रूट बैट (फल खाने वाले चमगादड़), कुत्ते, बकरी, बिल्ली, घोड़े और संभवत: भेड़ से भी हो सकता है। कहा जाता है कि चमगादड़ों में यह वायरस प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। वहीं कोरोना वायरस का केस चीन के वुहान में पहली बार सामने आया था। हालांकि 20 महीने बाद भी कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता नहीं चल पाया है। पहले ऐसा माना गया था कि वुहान के एक मछली बाजार से इसकी उत्पत्ति हुई है, लेकिन यह सिद्धांत अभी तक स्थापित नहीं हुआ है।
एक्सपर्ट्स की माने तो निपाह वायरस संक्रामक क्षमता तो कम है लेकिन यह अधिक खतरनाक है और इसमें डैथ रेट भी कोरोना के मुकाबले ज्यादा होता है। निपाह से संक्रमित लोगों में 40 से 70 फीसदी तक की मौत हो जाती है, जबकि कोरोना वायरस अधिक संक्रामक हैलेकिन यह कम घातक है। कोरोना वायरस की मृत्यु दर इसके मुकाबले बहुत ही कम है।
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कोरोना और निपाह वायरस के लक्षण एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं, जिसमें बुखार, गले में खराश, सिर दर्द, खांसी, थकान, सांस लेने में तकलीफ आदि शामिल हैं। लेकिन निपाह में मांसपेशियों में दर्द और एनसीफिलाइटिस जैसे लक्षण भी दिखते हैं, वहीं सूखी खांसी, स्वाद और गंध का चले जाना, कोरोना के सबसे आम लक्षण हैं।
दोनों वायरस का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति में उक्त दिए लक्षण दिख रहे हैं तो उसे आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूर कराना चाहिए।
कोरोना वायरस के आने के एक साल बाद ही वैक्सीन बन गई थी लेकिल निपाह वायरस की 20 साल बाद भी वैक्सीन नहीं बन पाई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि निपाह वायरस कितना खतरनाक है? इसलिए इस वायरस से ज्यादा बचने और सावधानी बरतनी चाहिए।
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