India News (इंडिया न्यूज),Death Massage: जन्म लेने वाले हर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है। यह तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि मृत्यु से पहले हमारा शरीर कुछ महत्वपूर्ण संकेत देना शुरू कर देता है। इन संकेतों के बारे में पुराणों और शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है।
भगवद गीता में लिखा है कि जिसने जन्म लिया है, एक दिन उसकी मृत्यु अवश्य होगी। इसे कोई नहीं टाल सकता। पुराणों के अनुसार जब भी मृत्यु का समय निकट आता है, तो सबसे पहली गतिविधि नाभि चक्र में शुरू होती है। नाभि को शरीर का केंद्र माना जाता है, जहां से जन्म के समय शरीर का निर्माण शुरू होता है। इसीलिए जीवन की डोर भी सबसे पहले यहीं से छूटनी शुरू होती है। यही कारण है कि मृत्यु के निकट आने का पहला संकेत नाभि चक्र के पास ही महसूस होता है।
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पुराणों में मृत्यु से पहले नाभि चक्र में होने वाली गतिविधियों का वर्णन किया गया है। जो व्यक्ति को उसके जीवन के अंतिम समय के बारे में पूर्व सूचना देते हैं। ये संकेत शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों के रूप में होते हैं, जो मृत्यु के निकट आने का संकेत देते हैं। आज हम आपको मृत्यु से पहले के उन 5 संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो नाभि चक्र आपको देने लगता है। अगर किसी व्यक्ति के जीवन में अचानक से अजीबोगरीब घटनाओं का सिलसिला शुरू हो जाए, तो समझ लीजिए कि ये मृत्यु के निकट आने का संकेत है।
शिव पुराण के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु निकट आने लगती है, तो कुछ महीने पहले उसकी आंखें, मुंह, जीभ, कान और नाक पत्थर जैसे लगने लगते हैं। ये अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। यह शरीर के अंत के निकट आने का संकेत है।
इतना ही नहीं, जब किसी की मृत्यु में बस कुछ ही दिन बचे होते हैं, तो धीरे-धीरे उसका शरीर नीला या पीला पड़ने लगता है। कई बार उसके शरीर पर ढेर सारे लाल निशान दिखाई देने लगते हैं। ये सभी संकेत होते हैं कि व्यक्ति की मृत्यु अब बहुत करीब है।
समुद्र शास्त्र के अनुसार जब भी किसी व्यक्ति की आत्मा शरीर छोड़ने की तैयारी करने लगती है, तो उस व्यक्ति की छाया भी धीरे-धीरे जाने लगती है। इसका मतलब यह नहीं है कि छाया बनती ही नहीं। छाया बनती तो है, लेकिन मरने वाला व्यक्ति उस छाया को देखने में असमर्थ हो जाता है।
ध्रुव तारा दिखना बंद हो जाता है
पुराणों के अनुसार जब यमराज किसी व्यक्ति की आत्मा को लेने आने वाले होते हैं, तो उस व्यक्ति में धीरे-धीरे सूर्य, चंद्रमा और अग्नि का प्रकाश देखने की क्षमता खत्म होने लगती है। मृत्यु से कुछ दिन पहले उसे ध्रुव तारा भी दिखना बंद हो जाता है। रात में उसे चारों तरफ सिर्फ टिमटिमाते तारे ही दिखाई देते हैं। यह सब इस बात की ओर इशारा करता है कि वह व्यक्ति अब इस धरती पर बस कुछ ही दिनों का मेहमान है।
नाभि में 5 मिनट तक प्राण रहता है
शास्त्रों के अनुसार नाभि हमारी जीवन ऊर्जा का केंद्र है। इसी के माध्यम से बच्चे का विकास होता है और उसमें प्राण का विकास होता है। मृत्यु के बाद भी आत्मा इसी के माध्यम से शरीर को छोड़ती है। कहा जाता है कि मृत्यु के बाद भी प्राण नाभि में 6 मिनट तक रहता है। इसके बाद शरीर सुन्न हो जाता है और प्राण शरीर को छोड़कर उड़ जाता है।