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कहीं आपके बच्चे में तो नहीं हैं डिस्प्रेक्सिया के लक्षण, हो जाएं सावधान

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
जिन बच्चों को जन्म से डिस्प्रेक्सिया होता है उनका विकास अन्य बच्चों की तुलना कुछ धीमा होता है। उन्हें संतुलन और समन्वय में भी परेशानी होती है। जैसे-जैसे बच्चे किशोरावस्था और अल्ट होते हैं डिस्प्रेक्सिया के लक्षणों की वजह से उन्हें सीखने में कठिनाइयां आती हैं।
डिस्प्रेक्सिया एक सामान्य न्यूरोलॉजिकल या ब्रेन आधारित डिस्आर्डर है, जो मूवमेंट और कोर्डिनेशन को प्रभावित करता है। जिन लोगों को डिस्प्रेक्सिया है, उनके लिए हर वो काम जिसमें कोर्डिनेशन की जरूरत हो, वह चुनौतीपूर्ण है। जैसे कि खेल खेलना या कार चलाना सीखना। यह किसी के इंटेलिजेंस का इफेक्ट नहीं करता है लेकिन उनके फाइन मोटर स्किल को प्रभावित कर सकता है। इसमें लिखना या छोटी वस्तुओं का यूज करना शामिल हो सकता है।
डिस्प्रेक्सिया और विकासात्मक समन्वय विकार को कभी-कभी एक ही माना जाता है। हालांकि कुछ डॉक्टर इन दोनों स्थितियों को अलग-अलग मानते हैं, लेकिन औपचारिक परिभाषा की कमी के कारण, इन्हें एक जैसी समस्या ही माना जाता है।
जिन बच्चों को जन्म से डिस्प्रेक्सिया होता है, उनका विकास अन्य बच्चों की तुलना कुछ धीमा होता है। उन्हें संतुलन और समन्वय में भी परेशानी होती है। जैसे-जैसे बच्चे किशोरावस्था और अल्ट होते हैं, डिस्प्रेक्सिया के लक्षणों की वजह से उन्हें सीखने में कठिनाइयां आती हैं। जिसका असर उनके आत्मसम्मान पर भी पड़ता है।
डिस्प्रेक्सिया का इस वक्त कोई इलाज नहीं है, इसलिए यह एक आजीवन स्थिति है। हालांकि, इसके लिए कई तरह की थैरपीज उपलब्ध हैं, जिससे उस समस्या को मैनेज करना आसान हो जाता है।

बच्चों में डिस्प्रेक्सिया के लक्षण

अगर आपके नवजात बच्चे को डिस्प्रेक्सिया है, तो आप विकास में देर की कुछ चीजें नोटिस करेंगे जैसे सिर उठाने, करवट लेने और बैठने में दूसरे बच्चों की तुलना में उन्हें वक्त लग सकता है।

– असामान्य शरीर की स्थिति
– ज्यादा चिड़चिड़ापन
– तेज आवाज के प्रति संवेदनशीलता
– भोजन और नींद की समस्या
– हाथ और पैर की ज्यादा मूवमेंट
– घुटने के बल चलने में देर
– चलने में देर
– पौटी ट्रेनिंग
– खुद से खाना खाना
– खुद से कपड़े पहन लेना
डिस्प्रेक्सिया शारीरिक गतिविधियों को मुश्किल बनाता है। जैसे कोई बच्चा अपनी स्कूल की किताबों को लेकर लिविंग रूम में दूसरे कमरे तक जाना चाहता है, लेकिन वो वहां तक बिना लड़खड़ाए, किसी चीज से टकराए या किताबों को गिराए नहीं पहुंच सकता।

बच्चों में डिस्प्रेक्सिया का जोखिम कब बढ़ जाता है
महिलाओं की तुलना में पुरुषों में डिस्प्रेक्सिया अधिक आम है। यह जेनेटिक भी होता है।
– समय से पहले जन्म
– जन्म के वक्त, शिशु के वजन मे कमी होना
– गर्भावस्था के दौरान मातृ दवा या शराब का उपयोग
– परिवार में विकासात्मक समन्वय विकारों का इतिहास

डिस्प्रेक्सिया का इलाज

कुछ बच्चों में उम्र बढ़ने के साथ इसके लक्षण भी चले जाते हैं। हालांकि ज्यादातर बच्चों के लिए ऐसा नहीं है। डिस्प्रेक्सिया का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, सही थेरेपी के साथ, डिस्प्रेक्सिया से जूझ रहे लोग लक्षणों का प्रबंधन करना और अपनी क्षमताओं में सुधार करना सीख सकते हैं।

Mukta

Sub-Editor at India News, 7 years work experience in punjab kesari as a sub editor, I love my work and like to work honestly

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