होम / स्पाइनल टीबी के मरीजों में सबसे ज्यादा युवा, एम्स की स्टडी में हुआ खुलासा

स्पाइनल टीबी के मरीजों में सबसे ज्यादा युवा, एम्स की स्टडी में हुआ खुलासा

Mukta • LAST UPDATED : September 4, 2021, 7:41 am IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Spinal TB : भागदौड़ भरी जिंदगी में हम कई बार अपनी बॉडी में होने वाले दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं। बिजी लाइफस्टाइल की वजह से हमारी डाइट भी अनियमित हो जाती है। नतीजा ये होता है शरीर में बीमारियां का घर कर जाती हैं। हम में से बहुत से लोगों को पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या रहती है। कई बार हम इस दर्द को हल्के में ले लेते हैं और अपनी पूरी जांच नहीं कराते हैं लेकिन एक ताजा स्टडी के मुताबिक गर्दन व कमर के दर्द को नजरअंदाज करना सेहत पर भारी पड़ सकता है। ये रीढ़ में टीबी के लक्षण भी हो सकते हैं।

रीढ़ में टीबी के संक्रमण से युवा अधिक पीड़ित हो रहे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्टडी में सामने आया है कि रीढ़ में टीबी के संक्रमण से युवा अधिक पीड़ित हो रहे हैं। स्टडी के मुताबिक रीढ़ में टीबी के संक्रमण से पीड़ित हर दूसरा मरीज युवा वर्ग से है। खास तौर पर 21 से 30 साल की उम्र के युवा इस बीमारी की चपेट में अधिक आ रहे हैं। हालांकि, इस समस्या से पीड़ित 10 फीसदी मरीजों को ही सर्जरी की जरूरत पड़ती है और 90 फीसद दवाओं से ही ठीक हो जाते हैं। हाल ही में एम्स के डॉक्टरों द्वारा की गई स्टडी अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल (एशियन स्पाइन जर्नल) में प्रकाशित हुई है। स्टडी के मुताबिक हड्डियों की टीबी से पीड़ित 50% मरीजों को रीढ़ में ही संक्रमण पाया जाता है।

1652 लोगों पर की स्टडी

एम्स के ऑर्थोपेडिक विभाग ने यह स्टडी 1652 लोगों पर की, जिनमें 777 महिलाएं (47%) और 875 पुरुष (53%) शामिल थे। स्टडी में ये पाया गया कि सबसे ज्यादा मरीज जो रीढ़ की टीबी के पाए गए, उनकी उम्र 21 से 30 साल के बीच की थी। इन मरीजों की संख्या स्टडी के हिसाब से 33.3 % थी। इसके बाद 17.1 % मरीज 31 से 40 साल वाले थे। वहीं 15.2 % मरीजों की उम्र 11 से 20 साल के बीच थी।

मरीजों को यह थी परेशानी

स्टडी के मुताबिक काफी मरीज ऐसे थे, जिन्हें सिर्फ कमर या गर्दन में दर्द के अलावा कोई अन्य लक्षण नहीं था। स्टडी में पाया गया कि रीढ़ में टीबी का संक्रमण होने के बाद बीमारी की जांच करीब साढ़े चार महीने बाद हुई। इस वजह से बीमारी की पहचान देर से हुई।

– 98% मरीज कमर व गर्दन के दर्द से परेशान थे।

– 4.1% मरीज ऐसे भी थे जो फेफड़े की टीबी से भी पीड़ित थे।

–6.1% ऐसे मरीज थे जो पहले फेफड़े की टीबी की बीमारी से पीड़ित रह चुके थे।

–32% टीबी के अलावा कई दूसरी बीमारियों से पीड़ित थे।

–3.7% को किडनी की बीमारी थी। 2.7%को लीवर की बीमारी थी।

–4.6% को अन्य कई बीमारियां थी।

–11.8% मरीजों को हाइपरटेंशन और 9.2% को डायबिटीज थी।

रीढ़ में टीबी के लक्षण

रीढ़ में टीबी के लक्षणों की बात करें तो सबसे ज्यादा इसमें ऐसे केस होते हैं जिनमें दर्द कमर पीठ व गर्दन में होता है। स्टडी के मुताबिक 98.1% ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें कमर, पीठ व गर्दन में दर्द होता है। ऐसे मरीज भी मिले हैं जिनकी रीढ़ से शुरू होकर पैर या हाथ में दर्द होता है। इनकी संख्या 11.9% हैं। स्टडी में 33% मरीजों में बुखार के लक्षण पाए गए। 22.2 % मरीजों को भूख नहीं लगने की शिकायत थी। 19 % ऐसे मरीज थे जिन्हें न्यूरो संबंधित परेशानी थी।

क्या कहते हैं जानकार

यंग लोग ज्यादा एक्टिव रहते हैं. इससे उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है। यदि 4 सप्ताह से अधिक समय तक कमर, पीठ या गर्दन में दर्द हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। दर्द के साथ बुखार आना और वजन का काम होना भी टीबी का लक्षण है। ऐसी स्थिति में एमआरआई  जांच जरूरी है।

ऐसे होगा बचाव

 टीबी के संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता जरूरी है। भोजन से पहले हाथों को ठीक से धोना जरूरी है। शरीर की इम्यूनिटी बेहतर बनाए रखें। हेल्दी डाइट लें। खांसी आने से पहले मुंह को ढक कर रखें। खांसी के मरीज के साथ भोजन करने से परहेज करें।

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.