होम / Health Tips In Hindi वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते कई रोग

Health Tips In Hindi वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते कई रोग

Mukta • LAST UPDATED : January 12, 2022, 11:19 am IST

नेचुरोपैथ कौशल
Health Tips In Hindi आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में जितने भी रोग होते हैं वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते हैं। ज्यादातर सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते हैं वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है, और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते हैं तो पित्त के बिगड़ने से होते हैं जबकि पेडू से शरीर के दम निचले भाग तक जितने भी रोग होते हैं वो वात (वायु) के बिगड़ने से होते हैं। लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात के बिगड़ने से माना जाएगा। जैसे जुकाम होना, छींके आना, खाँसी होना।

(Health Tips In Hindi)

ये कफ बिगड़ने के रोग हैं अतः ऐसे रोगों में आयुर्वेद में तुलसी लेने को कहा जाता है
क्योंकि तुलसी कफ नाशक है,
ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है
● क्योंकि जीरा पित्त नाशक है।
● इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है
●● लेकिन मेथी ज्यादा लेने से वात तो संतुलित हो जाता है पर ये पित्त को बढ़ा देती है।
● आयुर्वेदिक दवाओं में से ज़्यादातर औषधियाँ वात, पित्त या कफ में से कोई एक को ही नाश करने वाली होती हैं लेकिन त्रिफला ही एक मात्र ऐसी औषधि है जो वात, पित, कफ तीनों को एक साथ संतुलित करती है ।

(Health Tips In Hindi)

● वागभट जी इस त्रिफला की इतनी प्रशंसा करते हैं कि उन्होंने आयुर्वेद में 150 से अधिक सूत्र मात्र (त्रिफला को इसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा त्रिफला को उसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा आदि) त्रिफला पर ही लिखे हैं ।

त्रिफला क्या है  (Health Tips In Hindi)

त्रिफला अर्थात;
1) आँवला
2) बहेड़ा एवं
3) हरड़
इन तीनों से बनता है त्रिफला चूर्ण ।
● वागभट जी जोर देकर बताते हैं कि त्रिफला चूर्ण में तीनों फलों की मात्रा कभी भी बराबर बराबर नहीं होनी चाहिए।
● समभाग मात्रा में बना हुआ त्रिफला अधिक उपयोगी नहीं होता (आजकल बाज़ारों में मिलने वाले लगभग सभी त्रिफला चूर्ण में तीनों फलों की मात्रा बराबर बराबर होती है) वास्तव में देखा जाए तो…
त्रिफला चूर्ण में हरड़ : बहेड़ा : आँवला का अनुपात सदैव 1:2:3 ही होना चाहिए,
यानि अगर आपको 600 ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाना है तो उसमें-
हरड़ चूर्ण = 100 ग्राम
बहेड़ा चूर्ण = 200 ग्राम
और आँवला चूर्ण = 300 ग्राम होना चाहिए।

(Health Tips In Hindi)

● इस अनुपात में इन तीनों को मिलाने से बनेगा सम्पूर्ण आयुर्वेद में बताई हुई विधि का त्रिफला चूर्ण और यह होता है शरीर के लिए सर्व लाभकारी।
त्रिफला का सेवन अलग-अलग समय करने से भिन्न-भिन्न परिणाम आते हैं.!
● रात को त्रिफला चूर्ण लेंगे तो वो रेचक है अर्थात पेट की सफाई करने वाला, बड़ी आँत की सफाई करने वाला।
● शरीर के सभी अंगो की सफाई करने वाला।
● कब्जियत दूर करने वाला 30-40 साल पुरानी कब्जियत को भी दूर कर देता है।
● प्रातःकाल त्रिफला लेने को पोषक कहा गया, सुबह का त्रिफला पोषक का काम करेगा.!

त्रिफला की मात्रा :-
रात को कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला ले रहे है तो एक टी-स्पून अथवा आधा बड़ा चम्मच, गर्म पानी के साथ लें और ऊपर से गर्म दूध पी लें।
सुबह त्रिफला का सेवन करना है तो शहद या गुड़ के साथ लें।
● तीन महीने त्रिफला लेने के बाद 20 से 25 दिन छोड़ दें फिर दुबारा सेवन शुरू कर सकते हैं।

(Health Tips In Hindi)

● इस प्रकार त्रिफला चूर्ण मानव शारीर के बहुत से रोगों का उपचार कर सकता है।
● इसके अतिरिक्त अगर आप आयुर्वेद के अन्य नियमों का भी पालन करते हैं तो त्रिफला और अधिक शीघ्र लाभ पहूँचाता है।
● जैसे मैदे से बने उत्पाद बर्गर, नूडल, पीजा आदि ना खाएँ, ये कब्ज के मुख्य कारण हैं।
● रिफाईन तेल एवं वनस्पति घी कभी ना खाएँ।
● यथा संभव घाणी से पिरोया हुआ सरसों, नारियल, मूँगफली, तिल आदि तेलों का ही सेवन करें।
● शक्कर का सेवन न करें व नमक के स्थान पर सैंधा नमक का उपयोग करें।

(Health Tips In Hindi)

Read Also : Health Tips In Hindi जानिये फायदेमंद भोजन के बारे में, जो कर सकते हैं नुकसान भी

READ ALSO : Mustard Oil डार्क स्पॉट्स को दूर करने के लिए सरसों का तेल फायदेमंद

Connect With Us : Twitter Facebook

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.