High Blood Pressure Medicines आजकल के भागदौड़ भरे लाइफस्टाइल में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होना बहुत कॉमन चीज हो गई है। बहुत से लोग शुगर-बीपी की एक साथ दवाई ले रहे हैं। अब एक नई स्टडी से पता चला है कि हाई ब्लड प्रेशर की दवाओं का सेवन दुनियाभर के लाखों लोगों को टाइप-2 डायबिटीज से बचा सकता है। इस स्टडी के निष्कर्ष को मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ में प्रकाशित किया गया है।
इस स्टडी में कहा गया है कि हाई ब्लड प्रेशर से दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना को कम करने के लिए डॉक्टर पहले से ही मरीज को बीपी की सस्ती दवाएं लिखते हैं। अब इस नई स्टडी से पता चला है कि ये दवाएं सीधे टाइप-2 डायबिटीज के किसी रिस्क को कम कर सकती हैं. ऑक्सफोर्ड और ब्रिस्टल यूनिवर्सटी के रिसर्चर्स ने 5 सालों तक 1 लाख 45 हजार लोगों का अनुसरण किया। रिसर्चर्स ने पाया कि ब्लड प्रेशर की दवाओं में बदलाव के माध्यम से हाई बीपी में 5एमएमएचजी की कमी से टाइप-2 डायबिटीज के रिस्क को 11 फिसदी तक कम किया जा सकता है।
इस स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने प्लेसबो की तुलना में 22 क्लिनिकल ट्रायल्स में से 5 प्रमुख प्रकार की बीपी की दवाओं के प्रभावों की भी जांच की। उन्होंने पाया कि एसीई यानी एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम अवरोधक और एंजियोटेंसिन 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स का सबसे मजबूत सुरक्षात्मक प्रभाव था, दोनों ने किसी के डायबिटीज के बढ़ने से संबंधित रिस्क को 16% तक कम कर दिया।
जबकि अन्य प्रकार की बीपी कम करने वाली दवाएं सुरक्षात्मक नहीं थीं। कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स दवाओं का टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि बीटा ब्लॉकर्स और थियाजाइड मूत्रवर्धक दवा से वास्तव में हार्ट अटैक और स्ट्रोक को रोकने में उनके ज्ञात लाभकारी प्रभावों के बावजूद डायबिटीज टाइप-2 का रिस्क बढ़ा दिया।
2020 में भारत में लगभग 15 फीसदी लोगों में हाई बीपी होने के बारे में बताया। वहीं साल 2019 में ये आंकड़ा 13.4 फीसदी थाष एक रिपोर्ट की मानें तो पिछले 4 सालों में हाई बीपी के मरीजों में लगातार वृद्धि हुई है। इस दौरान ही करीब 35 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनके परिवार में ये बीमारी चली आ रही है।
(High Blood Pressure Medicines)
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