Important Rules About Eating हिन्दू धर्म में भोजन के करते वक्त भोजन के सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता।
अगर आप आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के नियमों का पालन करती हैं, तो काफी हद तक कई परेशानियां अपने आप दूर हो सकती हैं। हिन्दू धर्म अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए।
गर्म भोजन का सेवन करना ठंडे भोजन से अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसी कई महिलाएं होती हैं, जो रात का बचा हुआ भोजन अगले दिन गर्म करके सेवन करती हैं, ऐसे में अगर आप भी ठंडा भोजन सेवन करती हैं तो आपको इससे बचना चाहिए।
5 अंगों (2 हाथ, 2 पैर, मुख) को अच्छी तरह से धोकर ही भोजन करना चाहिए।
भोजन से पूर्व अन्नदेवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा ‘सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो’, ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए।
भोजन बनाने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाएं और सबसे पहले 3 रोटियां (गाय, कुत्ते और कौवे हेतु) अलग निकालकर फिर अग्निदेव को भोग लगाकर ही घर वालों को खिलाएं।
भोजन किचन में बैठकर ही सभी के साथ करें। प्रयास यही रहना चाहिए की परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल बैठकर ही भोजन हो। नियम अनुसार अलग-अलग भोजन करने से परिवारिक सदस्यों में प्रेम और एकता कायम नहीं हो पाती।
अमूमन देखा जाता है कि जब भी किसी का पसंदीदा भोजन बनता है, तो वो जरूरत से अधिक ही खाने का प्रयास करता है। कई बार ये आदत आपको बीमार भी कर सकती हैं। ऐसे में अगर आपको ओवर ईटिंग की आदत है, तो आपको इस आदत को बदलना चाहिए। राधामोनी के अनुसार राइट क्वांटिटी में भोजन करना सेहत के लिए बहुत जरूरी नियमों में से एक होना चाहिए।
प्रात: और सायं ही भोजन का विधान है, क्योंकि पाचनक्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2.30 घंटे पहले तक प्रबल रहती है। जो व्यक्ति सिर्फ एक समय भोजन करता है वह योगी और जो दो समय करता है वह भोगी कहा गया है।
*शैया पर, हाथ पर रखकर, टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए।
*मल-मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वटवृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए।
*परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।
*ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीनभाव, द्वेषभाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है।
*खड़े-खड़े, जूते पहनकर सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए।
6.भोजन करते वक्त क्या करें:-
*भोजन के समय मौन रहें।
*रात्रि में भरपेट न खाएं।
*बोलना जरूरी हो तो सिर्फ सकारात्मक बातें ही करें।
*भोजन करते वक्त किसी भी प्रकार की समस्या पर चर्चा न करें।
*भोजन को बहुत चबा-चबाकर खाएं।
(Important Rules About Eating)
*गृहस्थ को 32 ग्रास से ज्यादा न खाना चाहिए।
भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए।
(Important Rules About Eating)
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