नेचुरोपैथ कौशल
Natural Remedies For Kidney Disease पानी में न्यूट्रियंट्स होते हैं जो शरीर से गंदगी को साफ करते हैं। इसलिये खुद को हाइड्रेट रखने के लिये खूब पानी पियें। हर दिन हम न जाने कितनी गंदगी से रूबरू होते हैं। कभी प्रदूषण तो कभी कुपोषित खाना आदि। पानी इन सब गंदगियों को शरीर से बाहर निकालता है। पानी हमें गर्मी से बचाता है और हमारे शरीर का तापमान सामान्य बनाये रखता है। अगर आप जरुरत के हिसाब से पानी नहीं पियेगे तो आपके शरीर का तापमान अत्यधिक बढ सकता है।
पानी के बारे में वैसे तो ज्यादा कहने की जरुरत नहीं है क्योंकि पानी जीवन का सबसे बड़ा आधार है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 35 से 40 लीटर पानी हमेशा बना रहता है। जिस प्रकार नहाने से शरीर के बाहर की सफाई होती है, ठीक उसी प्रकार पानी पीने से शरीर के अंदर की सफाई होती है। कम से कम 3 लीटर पानी हर रोज भाप (वाष्पीकरण) के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।
किडनी रोगी कम पानी पीते हैं वह सारा पानी भाप बनकर शरीर से निकल जाता है। उन्हें सिकायत रहती है कि मूत्र नहीं आ रहा है। पर्याप्त पानी ही नहीं पियेंगे तो मूत्र कैसे आयेगा।
मूत्र नहीं आने से बिषैले (अपशिष्ट) पदार्थ मूत्राशय और किडनी में रुकने लगते हैं। भोजन के साथ हमारे शरीर में पहुंचे बिषैले पदार्थ भरपूर मात्रा में पानी पीने से पानी में घुलकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाते हैं।
एक वयस्क पुरुष के शरीर में पानी उसके शरीर के कुल भार का लगभग 65 प्रतिशत और एक वयस्क स्त्री के शरीर में उसके शरीर के कुल भार का लगभग 52 प्रतिशत तक होता है।
पानी ज्यादा पीने से कोई हानि नहीं होती है। मगर कम पानी पीने से शरीर को नुकसान अवश्य पहुंचता है। ठीक मात्रा में पानी पीने से कभी पथरी नहीं होती है।
गर्मी के दिनों जब अधिक गर्मी पड़ती है। तो ऐसे में हमारे शरीर का सारा पानी किसी न किसी रास्ते बाहर निकल जाता है।
अगर हम पानी नहीं पियेगें तो शरीर में पानी की कमी हो जाएगी और शरीर में मौजूद प्राकृतिक तत्वों का सन्तुलन बिगड़ने लगेगा। जिससे चक्कर आने लगेगा और ब्लड प्रेशर लो हो जाएगा।
पानी कोशिकाओं को नई ऊर्जा देता है और उनका विकास करता है। पानी का सम्बन्ध हमारी किडनियों से होता है। पानी के कारण हमारी किडनियां रक्त शुद्धिकरण और संतुलन का कार्य करने में सक्षम होती हैं।
पानी शरीर की भीतरी सफाई करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। यदि पानी सही समय पर सही मात्रा में दिया जाय तो यह शरीर की असुद्धियों को दूर करता है। शरीर में आंतों की कार्यक्रिया पानी से सुचारू रूप से चलती है।
पानी मांसपेशियों को लचीला बनाता है और यह रक्त में मिलकर रक्त की संचार प्रक्रिया को वेहतर बनाता है। पानी हमारे शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखता है। जिससे ब्लडप्रेशर सामान्य रहता है।
नैचुरोपेथी में तो पानी की उपचार क्षमता पर बेहद जोर दिया जाता है। सुबह उठकर 5-6 गिलास पानी पीने से शरीर के तमाम रोग दूर हो जाते हैं।
हमारे यहाँ अप्राकृतिक खाद्य/ पेय पदार्थ पूरी तरह बन्द करवा दिये जाते हैं। मेरा मानना है कि अप्राकृतिक खाद्य/ पेय पदार्थ दवाई (ड्रग) किडनी और लिवर के लिए हानिकारक है। ये अंग शरीर के मुख्य अंग हैं इन अंगों को हानि होने से पूरे शरीर को हानि होती है।
किडनी रोगी को लगता है कि पानी उनके लिए हानिकारक है। तो उन्हें इस तरह के हानिकारक पेय को पूरी तरह से बन्द कर देना चाहिए। न पानी पिएंगे न उन्हें हानि होगी।
जो व्यक्ति किसी भी प्रकार के अप्राकृतिक खाद्य/ पेय पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। वे चिकित्सक की सलाह पर ही प्राकृतिक खाद्य/ पेय पदार्थों का सेवन करें।
फ्रिज में रखा पानी पीना किडनी के मरीज के लिए जहर के समान है। हमें पानी हमेशा बैठकर और चूसकर धीरे-धीरे पीना चाहिए।
भोजन के बीच में और भोजन के तुरन्त पानी पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए भोजन के बाद ग्रास नली साफ करने के लिए सिर्फ दो घूँट पानी लें फिर एक घण्टे के बाद ही पानी पिएं।
(Natural Remedies For Kidney Disease)
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