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Scientific Way Of Bath सावधान, सर्दी आ चुकी है.. अपनाइये, नहाने का वैज्ञानिक तरीका

Mukta • LAST UPDATED : December 17, 2021, 4:38 pm IST

नेचुरोपैथ कौशल

Scientific Way Of Bath क्या आपने कभी अपने आस पास ध्यान से देखा या सुना है कि नहाते समय बुजुर्ग को लकवा लग गया? दिमाग की नस फट गई (ब्रेन हेमरेज) या हार्ट अटैक आ गया। छोटे बच्चे को नहलाते समय वो बहुत कांपता रहता है, डरता है और माता समझती है कि नहाने से डर रहा है। “लेकिन ऐसा नहीँ है; असल मे ये सब गलत तरीके से नहाने से होता है।”

(Scientific Way Of Bath)

दरअसल हमारे शरीर में गुप्त विद्युत् शक्ति रुधिर (खून) के निरंतर प्रवाह के कारण पैदा होती रहती है, जिसकी स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक दिशा ऊपर से आरम्भ होकर नीचे पैरों की तरफ आती है। सिर में बहुत महीन रक्त नालिकायें या वेन्स होती हैं जो मस्तिष्क को रक्त पहुँचाती है। यदि कोई व्यक्ति निरंतर सीधे सर में ठंडा पानी डालकर नहाता है तो ये नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं या फिर इनमें रक्त के थक्के जमने लग जाते हैं और जब शरीर इनको सहन नहीं कर पाता तो ऊपर लिखी घटनायें वर्षो बीतने के बाद बुजुर्गो के साथ होती है।

(Scientific Way Of Bath)

सिर पर सीधे पानी डालने से हमारा सर ठंडा होने लगता है, जिससे हृदय को सिर की तरफ ज्यादा तेजी से रक्त भेजना पड़ता है, जिससे या तो बुजुर्ग में हार्ट अटैक या फिर दिमाग की नसें फटने की अवस्था आ सकती है। ठीक इसी तरह बच्चे का नियंत्रण तंत्र भी तुरंत प्रतिक्रिया देता है जिससे बच्चे के कांपने से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है, और माँ समझती है की बच्चा डर रहा है। गलत तरीके से नहाने से बच्चे की हृदय की धड़कन अत्यधिक बढ़ जाती है खुद परीक्षण करके देख लीजिये।

तो आईये हम आपको नहाने का सबसे सही तरीका बताते है (Scientific Way Of Bath)

बाथरूम में आराम से बैठकर या खड़े होकर सबसे पहले पैर के पंजों पर पानी डालिये, और रगड़िये, फिर पिंडलियों पर, फिर घुटनों पर,
फिर जांघो पर पानी डालिये और हाथों से मालिश करिये.! फिर हाथों से पानी लेकर पेट को रगड़िये फिर कंधों पर पानी डालिये, फिर अंजुली में पानी लेकर मुँह पर मलिए।हाथों से पानी लेकर सर पर मलिए।

(Scientific Way Of Bath)

इसके बाद आप शावर के नीचे खड़े होकर या बाल्टी सर पर उड़ेलकर या फिर कैसे भी नहा सकते है।

इस प्रक्रिया में केवल 1 मिनट लगता है लेकिन इससे आपके जीवन की रक्षा होती है। इस 1 मिनट में शरीर की विद्युत प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे ही बहती रहती है क्योंकि विद्युत् को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरो पर डाला गया है।

(Scientific Way Of Bath)

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