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Scientists Created New 'Mini Brain : डिमेंशिया और लकवा जैसी बीमारियों का इलाज ढूंढना होगा आसान

India News Editor • LAST UPDATED : October 26, 2021, 10:32 am IST

Scientists Created New ‘Mini Brain

Scientists Created New ‘Mini Brain : ब्रेन के कॉम्प्लेक्स सिस्टम यानी जटिल कार्यप्रणाली की गुत्थी सुलझाने के मकसद से रिसर्च लगातार जारी हैं। इसी क्रम में ब्रिटिश रिसर्चर्स ने एक ऐसा नया ‘मिनी ब्रेन’ विकसित किया है, जिससे लकवा और डिमेंशिया जैसे घातक व लाइलाज न्यूरोलॉजिकल डिसऑडर के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल की जा सकेगी और इन रोगों से बचाव के उपाय करना और इलाज ढूंढ़ना ज्यादा आसान होगा। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है कि साइंटिस्टों ने न्यूरोडिजनेरिटिव रोगों से पीड़ित लोगों के सेल्स से मिनी ब्रेन विकसित किया है, लेकिन अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं, उनसे अपेक्षाकृत कम समय के लिए उन्हें विकसित करने में सफलता मिली है। इस मायने में यह पहला मौका है जब यूनिवर्सिटीऑफ कैंब्रिज के साइंटिस्टों ने इसे छोटे अंग जैसे माडल (ऑर्गेनायड्स) ब्रेन विकसित किया है, जो लगभग एक साल तक चलेगा। सामान्य तौर पर होने वाला मोटर न्यूरान डिजीज एमायोट्राफिक लैटेरल स्क्लेरोसिस अक्सर फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया से ओवरलैप होता है। ये बीमारी आमतौर पर 40-45 साल की उम्र के बाद होती है। इसमे मसल्स कमजोर पड़ जाती हैं और याददाश्त, व्यवहार और व्यक्तित्व में बदलाव आ जाता है।

240 दिनों के लिए बनाए मॉडल (Scientists Created New ‘Mini Brain)


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नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के निष्कर्ष में बताया गया है कि टीम ने स्टेम सेल से ये 240 दिनों के लिए बनाए, जिसमें एएलएस/एफटीडी में सामान्य आनुवंशिक उत्परिवर्तन हुए। पहले की रिसर्च में यह संभव नहीं था। इतना ही नहीं, एक अनपब्लिश रिसर्च में इसे 340 दिनों के लिए विकसित करने की बात बताई गई है।

बीमारी के बढ़ने की वजह (Scientists Created New ‘Mini Brain )

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ क्लिनिकल न्यूरोसाइंसेज के डॉक्टर एंड्रास लकाटोस बताते हैं कि न्यूरोडिजनेरिटिव विकृतियां बड़ी ही जटिल होती हैं और ये कई प्रकार के सेल्स को प्रभावित करती हैं, जिसमें समय के साथ सेल्स की प्रतिक्रियाओं की वजह से बीमारी बढ़ती जाती है। डॉ लकाटोस आगे बताते हैं,  कि इन जटिलताओं (Complications) को समझने के लिए हमें ऐसे मॉडलों की जरूरत होती है, जो ज्यादा समय तक चले और इंसानी ब्रेन की कोशिकीय संरचना को दोहराए ताकि उनमें होने वाले बदलाव को गहराई से समझा जा सके। हमारे मॉडल से इसका अवसर मिलेगा।

नए मॉडल में क्या खास है (Scientists Created New ‘Mini Brain)

डॉ लकाटोस का कहना है कि हम इस मॉडल से यह तो समझ पाएंगे ही कि रोग के लक्षण उभरने से पहले क्या कुछ होता है, साथ ही यह देखने को भी मिलेगा कि समय के साथ सेल्स में किस प्रकार के बदलाव आते हैं। आमतौर पर ऑर्गेनायड्स सेल्स के गेंद जैसे रूप में विकसित होते हैं, लेकिन इस रिसर्च टीम ने रोगियों की कोशिकाओं वाला ऑर्गेनायड्स प्रयोगशाला में स्लाइस कल्चर में विकसित किया है।

ऐसे मिली मदद (Scientists Created New ‘Mini Brain)

इस तकनीक से यह सुनिश्चित होता है कि मॉडल की अधिकांश कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए जरूरी पोषण मिलता रहता है। इस वजह से टीम को ऑर्गेनायड्स की कोशिकाओं में होने वाले शुरुआती बदलाव भी देखने को मिले।

ऐसे प्रभावित होता है मसल्स मूवमेंट (Scientists Created New ‘Mini Brain)

इससे कोशिकीय तनाव, डीएनए को होने वाले नुकसान और डीएनए के प्रोटीन में एक्सप्रेस होने की क्रियाविधि को भी परखा जा सकता है। ये बदलाव नर्व सेल्स और ब्रेन के अन्य सेल्स को भी प्रभावित करते हैं, जिसे एस्ट्रोग्लिया कहते हैं और यह मसल्स के मूवमेंट और मेंटल कैपेसिटी को नियोजित करता है।

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