Slipped Disc : Working in a bad posture can lead to a slip disc
Slipped Disc : आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी ऐक्सिडेंट या भारी चीज को उठाने की वजह से स्लिप डिस्क की समस्या होती है लेकिन बता दें कि इन दिनों ये समस्या युवाओं में काफी तेजी से बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह है बढ़ती असक्रियता और घंटों खराब पोश्चर के साथ लैपटॉप पर काम करना है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में ये समस्या काफी तेजी से बढ़ी है और वे इससे निजात पाने के लिए डॉक्टरों और क्लीनिक के चक्कर लगा रहे हैं।
Also Read: 2 नई टीमों के लिए ये है दावेदार, जानिए कौन से शहर हैं शामिल
हमारी रीढ़ की हड्डी में कई बोन्स के सीरीज होते हैं जो एक दूसरे से जुड़े होते हैं। उपर से नीचे की तरफ पहला 7 सर्वाइकल स्पाइन, 12 थॉरेसिक स्पाइन, 5 लंबर स्पाइन होते हैं जिनके बीच ये डिस्क मौजूद होते हैं जो कुशन का काम करते हैं। ये डिस्क इन बोन्स को वॉक करने, दौड़ने, झुकने जैसी एक्टिविटी के दौरान झटकों से बचाते हैं।
डिस्क के दरअसल दो हिस्से होते हैं एक जो बाहरी रिंग की तरह काम करता है जबकि दूसरा हिस्सा इसके अंदर का सॉफ्ट पार्ट होता है। इनमें जब किसी तरह की समस्या होती है तो हमें दर्द, डिस्कमफर्ट महसूस होता है। जब ये स्लिप डिस्क आस पास के नर्व को कॉमप्रेस करते हैं तो हाथ, पैर आदि में असहनीय दर्द और सुन्नता महसूस होती है।
शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, खराब पॉस्चर में देर तक बैठे रहना, मांसपेशियों का कमजोर हो जाना, अत्यधिक झुककर भारी सामान उठाना, शरीर को गलत तरीके से मोड़ना या झुकना, क्षमता से अधिक वजन उठाना, रीढ़ की हड्डी में चोट लगना, बढ़ती उम्र।
सबसे पहले डॉक्टर छूकर शारीरिक परीक्षण करते हैं। इसके बाद रीढ़ की हड्डी व आसपास की मांसपेशियों में आई गड़बड़ी को समझने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन्स, एमआरआई व डिस्कोग्राम्स आदि की सलाह देते हैं। इसके बाद स्पाइनल कॉड की सही जानकारी सामने आती है।
Also Read :T20 World Cup ऐसी हार न कभी मिली, न मिलेगी
आमतौर पर यह पाया गया है कि 90 प्रतिशत केस में ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती। यह पूरी तरह से आपके दर्द पर और स्लिप डिस्क के कंडीशन पर निर्भर करता है। आमतौर पर डॉक्टर फिजियोथेरेपी, व्यायाम, वॉकिंग, स्ट्रेचिंग आदि करने की हिदायत देते हैं। इसके अलावा गर्म सेक से भी काफी आराम मिलता है। इसके बाद भी अगर पेशेंट को आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर मसल्स रिलैक्स करने की दवा देते हैं। इसके अलावा दर्द दूर करने के लिए नैक्रोटिक्स दवाएं भी दी जाती है। लेकिन अगर 6 सप्ताह तक यह कंट्रोल में नही आता है तो सर्जरी से इसे ठीक किया जाता है। सर्जरी ना करने पर यह अन्य डिस्क को प्रभावित करने लगता है जो और अधिक परेशानी ला सकता है।
अगर समय रहते इसका उपचार ना किया जाए तो तंत्रिकाएं स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। स्लिप डिस्क कमर के निचले भागों और पैरों के तंत्रिकीय आवेगों को सुन्न कर सकता है। इससे व्यक्ति मलाशय या मूत्राशय पर नियंत्रण खो सकता है. दरअसल स्लिप डिस्क तंत्रिकाओं को कम्प्रेस कर देती है और जांघों के अंदरूनी हिस्से, पैरों के पिछले भाग और मलाशय के आसपास के भाग में संवेदना बंद हो जाती है। जिससे पैर लकवाग्रस्त हो सकता है और आपको मल-मूत्र त्यागने में समस्या हो सकती है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.