Treatment of Pneumonia : निमोनिया सांस संबंधी एक गंभीर संक्रमण है। भारत में यह एक जानी-पहचानी जन स्वास्थ्य इमरजेंसी है। इसका संबंध वैश्विक स्तर पर हर साल 2.5 मिलियन वयस्कों और बच्चों की मौत से है। अकेले भारत में वैश्विक निमोनिया बोझ का 23 प्रतिशत है। वायरस, बैक्टीरिया या फंगस से होने वाला निमोनिया एक या दोनों लंग्स (फेफड़ों) को प्रभावित करता है। इससे सांस लेना तकलीफदेह हो जाता है क्योंकि ऑक्सीजन सीमित मात्रा में ही अंदर जाती है। बैक्टीरियल निमोनिया का सबसे आम कारण है, स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिये। (Treatment of Pneumonia)
पहचान और उपचार योग्य स्थिति होने के बावजूद निमोनिया का पता चलने में अक्सर देर हो जाती है। इससे बीमारी बढ़ जाती है और मौत तक हो जाती है जिसे रोका जा सकता है। निमोनिया और सांस की नली में अन्य संक्रमण की पहचान के लिए स्पुटम कल्चर में 24 से 48 घंटे लग सकते हैं। चिकित्सकों के पास रैपिड टेस्ट एक शक्तिशाली टूल है। इससे जांच जल्दी हो सकती है और पैथोजेन का कारण अक्सर 15 मिनट में ही मालूम हो सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि निमोनिया के कारण भारतीय आबादी पर अच्छा-खासा बोझ पड़ता है। (Treatment of Pneumonia)
इसलिए इंडियन चेस्ट सोसाइटी और नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियंस (आईसीएस-एनसीसीपी) द्वारा स्थापित, भारत विशेष निमोनिया गाइडलाइन्स का पालन करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि बीमारी का पता चल जाएगा और उसके प्रबंध व उपचार के लिए मार्गदर्शन मिल जाएगा जो मरीज की स्थिति के अनुकूल होगा और उसे ठीक करेगा। प्रयोगशाला आधारित कल्चर टेस्ट के लिए इंतजार के समय के मद्देनजर तेजी से रोगनिदान को अपनाया जाना चाहिए ताकि इस प्रक्रिया को व्यवस्थित किया जा सके। (Treatment of Pneumonia)
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