India News (इंडिया न्यूज), Early Warning System: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में अब बादल फटने से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए एक अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य जान-माल और संपत्ति को होने वाले नुकसान को कम करना है। यह परियोजना जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान द्वारा चलाई जा रही है। संस्थान ने यह सॉफ्टवेयर मॉडल पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजा है, ताकि इसे मंजूरी मिल सके। योजना है कि 2025 की बरसात से पहले यह सिस्टम पूरी तरह काम करना शुरू कर दे।
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परियोजना के तहत जिले में तीन स्थानों – फोजल, छाकीनाला और सैंज – को चुना गया है। ये जगहें बादल फटने की दृष्टि से बहुत संवेदनशील मानी जाती हैं। इस सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर मॉडल बेंगलुरु में तैयार कर लिया गया है। अब इसे सेंसर से जोड़ने और कुल्लू में स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह परियोजना राष्ट्रीय हिमालय अध्ययन मिशन के तहत की जा रही है।
हिमाचल में पिछले कुछ वर्षों में बादल फटने की घटनाओं में तेजी आई है। अकेले कुल्लू जिले में हर साल 5-6 बार ऐसी घटनाएं होती हैं। 2023 में आठ से अधिक बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे भारी तबाही हुई। इस दौरान मकान बहे, लोग लापता हुए और करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा। इस अर्ली वार्निंग सिस्टम के जरिए बारिश और बादल फटने से पहले ही लोगों को सचेत किया जा सकेगा। इससे वे समय रहते सुरक्षित स्थान पर जा सकेंगे। संस्थान के निदेशक राकेश कुमार सिंह ने बताया कि यह सिस्टम लोगों की जान बचाने में काफी मददगार साबित होगा।
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