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India News (इंडिया न्यूज़),Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के एक सरकारी कार्यक्रम में मंगाए गए खाने की चीज़ों, विशेष रूप से समोसे, पर सीआईडी जांच के मामले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इस मामले पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य सरकार गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज कर ‘समोसे’ पर जांच करा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री और उनकी टीम ने इन आरोपों को खारिज किया है और इसे एक गलतफहमी करार दिया है।
राज्य पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान समोसे मंगाए गए थे, लेकिन समोसे कार्यक्रम में पहुंचने के बजाय रास्ते में कहीं गुम हो गए। इसके बाद सीआईडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले की जांच करने का आदेश दिया, और इस जांच में पाया गया कि पांच पुलिसकर्मियों ने वह समोसे खा लिए थे। बीजेपी नेताओं ने इसे मुद्दा बना दिया और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकताएं बहुत ही हास्यास्पद हैं, जबकि राज्य में भ्रष्टाचार और गंभीर मुद्दों पर कोई जांच नहीं हो रही।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले पर सफाई दी और कहा कि जांच का उद्देश्य ‘समोसे’ पर नहीं था, बल्कि यह मामले में कुछ पुलिसकर्मियों के दुर्व्यवहार को लेकर हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ने इसे गलत तरीके से ‘समोसे पर सीआईडी जांच’ का मामला बना दिया है, जोकि पूरी तरह से भ्रामक है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार, नरेश चौहान ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री ने सीआईडी के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था और स्वास्थ्य कारणों से बाहर का खाना नहीं खाते। इस कार्यक्रम में मंगाए गए खाने की चीजों को लेकर सीआईडी विभागीय जांच कर रहा था, लेकिन सरकार ने किसी ‘समोसे’ पर जांच के आदेश नहीं दिए थे।
विपक्षी दल बीजेपी ने इस मामले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य की सरकार समोसे जैसे मुद्दों पर जांच कर रही है, जबकि भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इस मुद्दे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के निर्णयों की वजह से पूरे देश में हिमाचल प्रदेश की “जगहंसाई” हो रही है।
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इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी हलचल मची हुई है। “समोसा” शब्द कुछ समय के लिए ट्विटर और एक्स पर ट्रेंड करने लगा, और लोग इस मुद्दे पर चुटकियाँ लेने लगे। बीजेपी के नेता और अन्य लोग इस मामले को सरकार की नाकामी के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
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