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Himachal News: कुलपति की नियुक्ति के विधेयक पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल का बड़ा बयान, कहा- 'सरकारों को सार्वजनिक हित…'

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : October 16, 2024, 4:03 pm IST

India News HP (इंडिया न्यूज), Himachal News: कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी विश्वविद्यालय नौणी में कुलपति की नियुक्ति के विधेयक पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जुन्गा में उड़ान महोत्सव के उद्घाटन के बाद पत्रकारों के विधेयक में राज्यपाल की शक्तियां कम करने से जुड़े सवाल पर शुक्ला ने कहा कि अभी उनके पास विधेयक नहीं आया है। जब विधेयक आएगा तो देखा जाएगा कि उसमें क्या पारित किया गया है। लेकिन उनका एक बयान सही नहीं है, जिसमें कहा गया है कि सरकार पैसा देती है। राज्यपाल ने आगे कहा कि अगर सरकार पैसा देती है तो वह कोई निजी संस्थान नहीं है। वह हिमाचल का सार्वजनिक संस्थान है। सरकारों को जनहित के लिए अपना बलिदान देना चाहिए, न कि जनहित को हड़पना चाहिए।

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इस फेस्टिवल से साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा

राज्यपाल ने कहा कि फ्लाइंग फेस्टिवल से हिमाचल में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे हिमाचल और जुन्गा को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। इस तरह के आयोजनों से नशाखोरी पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी। हिमाचल नशाखोरी के मामले में दूसरे नंबर का राज्य बन गया है। इसलिए हमें हिमाचल से नशाखोरी को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। भारत सरकार से भी बातचीत हुई है। भारत सरकार सीमा पर लोगों को चरणबद्ध तरीके से बसाने का काम भी कर रही है। इसमें हिमाचल की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।

बता दें, पांच सितंबर को मानसून सत्र में विधानसभा में कृषि विवि पालमपुर और बागवानी विवि नौणी में कुलपति की नियुक्ति सरकार की सलाह व सहायता से ही करने का विधेयक पारित किया गया था। संशोधित विधेयक में प्रबंधन बोर्ड बनाने का भी प्रावधान किया गया था। विपक्ष ने इस संशोधित विधेयक का कड़ा विरोध किया था। संशोधित विधेयक को राज्यपाल की शक्तियों का हनन बताया गया था। विरोध के बीच ही सत्ता पक्ष ने ध्वनि मत से इस विधेयक को पारित कर दिया था। सरकार के अनुसार कुलपति की नियुक्ति में सरकार की सलाह जरूरी है। कृषि व बागवानी विवि में नियुक्तियां सही तरीके से नहीं हो रही हैं। इससे पहले सरकार की ओर से दो विधेयक राजभवन भेजे गए थे। इन पर दो बार आपत्ति जताई गई थी। दोनों बार सरकार ने अपना पक्ष रखा। पता किया तो पता चला कि विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजे गए हैं।

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