India News(इंडिया न्यूज),Himachal Politics: हिमाचल प्रदेश में मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों के फंड को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राज्य में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए सरकार पर सनातन धर्म का विरोध करने के साथ-साथ मंदिरों के फंड का इस्तेमाल अपनी योजनाओं के लिए करने का आरोप लगाया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आम जनता से भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की सरकार ने तीखा पलटवार किया और प्रदेश इकाई की प्रमुख प्रतिभा सिंह ने जोर देकर कहा कि दान केवल मंदिरों से ही नहीं बल्कि आम जनता से भी मांगा गया था।
अपने बयान में जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है। इसमें मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों से मिलने वाले पैसे को सरकारी खजाने में जमा करने को कहा गया है। यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि सरकार की प्रमुख योजनाएं जैसे ‘सुखआश्रय योजना’ और ‘सुख शिक्षा योजना’ चलाई जा सकें। ठाकुर के मुताबिक यह कदम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है। उनका कहना है कि इससे पहले कभी भी किसी सरकार ने मंदिरों या ट्रस्टों के पैसे का इस्तेमाल अपनी योजनाओं के लिए नहीं किया है।
उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश में कुल 36 मंदिर सरकारी नियंत्रण में आते हैं और सरकार ने न सिर्फ इन मंदिरों से पैसे लेने के आदेश दिए हैं बल्कि इसका लगातार फॉलोअप भी किया जा रहा है जिसमें जल्द पैसे ट्रांसफर करने के निर्देश दिए गए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा आपदा के समय मंदिरों और ट्रस्टों के धन का उपयोग करने का औचित्य अभी भी समझ में आता है। उदाहरण के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान या प्राकृतिक आपदाओं (जैसे बाढ़ और भूस्खलन) के समय, जब लोगों की जान बचाने और राहत कार्यों के लिए धन की आवश्यकता थी। लेकिन इस बार सरकार मंदिरों से प्राप्त धन का उपयोग अपनी सामान्य योजनाओं को चलाने के लिए कर रही है, जो नीतिगत गलत कदम है।
ठाकुर ने सरकार पर सनातन धर्म विरोधी रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं का विरोध करती है, वहीं दूसरी तरफ मंदिरों से धन लेकर अपनी योजनाओं को पूरा करना चाहती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने हाल ही में संपन्न महाकुंभ में भाग लेने से परहेज किया और इस पर कई नकारात्मक टिप्पणियां भी कीं।
ठाकुर ने मुख्यमंत्री के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि 90 प्रतिशत से अधिक हिंदू आबादी वाले राज्य में उन्होंने हिंदूवादी पार्टी को हराया है। यह सब सरकार की नीतियों में विरोधाभास को दर्शाता है। नेता प्रतिपक्ष ने यह भी घोषणा की कि भाजपा विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह इस फैसले का विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा और सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध दर्ज कराया जाएगा।