India News (इंडिया न्यूज़),Himachal Weather: हिमाचल प्रदेश में मौसम का मिजाज बदल रहा है। रात की तरह अब दिन में भी ठंडी हो गई है। प्रदेश के मैदानी इलाके घने कोहरे की चपेट में हैं। विभिन्न क्षेत्रों में कोहरा बढ़ गया है। ऐसे में यातायात पर भी असर पड़ रहा है। शनिवार सुबह बिलासपुर में घना कोहरा छाने से लोगों को परेशानी हो रही है। इससे वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई है।
घने कोहरे के कारण हो रही परेशानी
घने कोहरे के कारण अब लोगों को घुटन का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल आने-जाने और दफ्तर जाने वाले लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में शीतलहर और बर्फबारी होगी और तापमान में लगातार गिरावट होगी। विभाग ने अगले दो दिन बिलासपुर और मंडी में घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया है। 11 नवंबर को मध्य और पहाड़ी इलाकों में बारिश के आसार हैं। 48 घंटे में बदलेगा मौसम, गरजेंगे बादल मौसम केंद्र के अनुसार अगले 48 घंटे के दौरान मौसम बदलेगा और मैदानी इलाकों में बारिश के अलावा अन्य अपवाद और तटीय इलाकों में बारिश होगी। पोर्ट ब्लेयर, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और मंडी में बारिश और ओले पड़ने की संभावना है। 12 और 13 नवंबर को पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा।।
दो शहरों में तापमान माइनस में, ताबो सबसे ठंडा
बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश के औसत न्यूनतम तापमान में 0.2 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। लाहौल-स्पीति जिले के दो शहरों का पारा शून्य से नीचे दर्ज किया गया। ताबो सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां पारा -3.5 डिग्री सेल्सियस रहा। कुकुमसेरी में न्यूनतम तापमान -0.8 डिग्री, केलांग में 3, समधो में 4.4, कल्पा में 4.8, मनाली में 7.5, रिकांगपिओ में 7.8, सियोबाग में 8, नारकंडा में 8.5, भुंतर व बजुआरा में 9.4, सोलन में 9.6, मशोबरा में 9.8, पालमपुर में 10.5, सुंदरनगर में 10.6 और शिमला में 11.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
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फसलों की भी हो रही बरबादी
पिछले दो महीनों से प्रदेश में पर्याप्त बारिश न होने के कारण कई जिले सूखे की चपेट में हैं। इससे गेहूं की फसल की बिजाई में देरी हो रही है। बारिश न होने के कारण सेब के पौधों के सूखने का खतरा बढ़ गया है। इससे अगले सीजन में सेब उत्पादन प्रभावित हो सकता है। हिमाचल में सेब का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। राज्य की सेब अर्थव्यवस्था सालाना 5,000 करोड़ रुपये की है। बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार, सेब की फसल कटने के बाद करीब दो महीने तक राज्य में बारिश नहीं हुई है। राज्य में कई सालों के बाद ऐसे हालात पैदा हुए हैं। सूखे के कारण सेब के पौधों की सामान्य वृद्धि रुक गई है। अगर ऐसे हालात लंबे समय तक बने रहे तो पौधे सूख भी सकते हैं। अक्टूबर महीने में राज्य में सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई। नवंबर महीने में एक बूंद भी बारिश नहीं हुई।