HRTC बस में चलाया गया राहुल गांधी का वीडियो, तो छिड़ गया विवाद; ड्राइवर-कंडक्टर को भेजा गया नोटिस
HP News
India News (इंडिया न्यूज़),HP News: एचआरटीसी (हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम) की बस में हुई एक मामूली घटना को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जो बाद में सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक मुद्दा बन गया। 5 नवंबर को शिमला के संजौली रूट पर चल रही एचआरटीसी की बस में एक यात्री वीडियो देख रहा था, जिसमें राहुल गांधी और अन्य नेताओं पर चर्चा हो रही थी। बस में मौजूद सैम्युल प्रकाश नाम के यात्री ने इसे लेकर शिकायत की कि बस स्टाफ ने वीडियो को बंद क्यों नहीं करवाया। इस शिकायत पर एचआरटीसी ने ड्राइवर और कंडक्टर को नोटिस जारी कर दिया। जिसके बाद तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा गया, जिसमें पूछा गया कि बस में इस तरह की गतिविधि को क्यों नहीं रोका गया। मामले की जांच के बाद ड्राइवर और कंडक्टर को क्लीयर चिट दी गई, क्योंकि कोई ठोस सबूत या घटना का समर्थन करने वाली जानकारी नहीं मिली।
नोटिस जारी होने के बाद यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। भाजपा ने इस मामले को लेकर सुक्खू सरकार पर निशाना साधा और इसे अनावश्यक नौकरशाही हस्तक्षेप करार दिया। धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा और पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी ने इसे सरकार की विफलता बताया।
एचआरटीसी ने बताया कि जांच में ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिला और नोटिस को रद्द कर दिया गया है। सब डिवीजन मैनेजर ने सफाई दी कि शिकायतकर्ता भी कोई सबूत प्रस्तुत नहीं कर सका। एचआरटीसी के अधिकारी ने माना कि नोटिस बेहतर ढंग से लिखा जा सकता था, जिससे गलतफहमियों से बचा जा सकता था।
मामूली शिकायतों पर नोटिस जारी करने से पहले शिकायत की प्रामाणिकता की जांच होनी चाहिए। ऐसे विवाद प्रशासनिक फैसलों के राजनीतिकरण की ओर इशारा करते हैं, जो सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले मामलों पर जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया से प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। यह मामला दर्शाता है कि प्रशासनिक कार्यवाही में पारदर्शिता और संवेदनशीलता कैसे महत्वपूर्ण है, ताकि छोटे मुद्दे बड़े विवाद का रूप न लें।