India News (इंडिया न्यूज)Himachal News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में कुछ दिन पहले हुई बर्फबारी के बाद जहां बर्फ पूरी तरह पिघल चुकी है, वहीं जाखू के बर्फ के कुएं में छह दिन बाद भी बर्फ देखी जा सकती है।
बर्फ के कुओं को स्नो पिट कहा जाता है। इनका निर्माण 150 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। उस दौरान इनका इस्तेमाल बर्फ जमा करने के लिए किया जाता था। आज यह धरोहर आधुनिकता और जलवायु परिवर्तन की मार झेल रही है और इसका अस्तित्व खत्म होने को है। ये कुएं जमीन में पानी की मात्रा भी बढ़ाते थे। ब्रिटिश शासन के दौरान जाखू, हार्विंगटन, वाइल्ड फ्लावर हॉल, बार्नेस कोर्ट और हरकोर्ट बटलर स्कूल (अब केंद्रीय विद्यालय जाखू) के आसपास ऐसे छह से ज्यादा बर्फ के कुएं हुआ करते थे। बर्फबारी के दौरान ठंडी छायादार जगहों से बर्फ काटकर इन कुओं में भरी जाती थी।
अंग्रेज अफसर बर्फ को अपने लिए प्राकृतिक फ्रिज के तौर पर इस्तेमाल करते थे। इन कुओं से रिसने वाला बर्फ का पानी झरनों तक पहुंचता था जो साल भर पेयजल और सिंचाई का जरिया बने रहते थे। लेकिन आज झरने भी सूख चुके हैं और इस धरोहर का पर्यावरणीय योगदान भी खत्म होने लगा है। वर्तमान में इन बर्फ के कुओं की हालत दयनीय है। जाखू के आसपास स्थित कुछ कुएं अभी भी बचे हुए हैं। केंद्रीय विद्यालय जाखू में एक बर्फ का कुआं भर दिया गया है और उस पर खेल का मैदान बना दिया गया है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1901 से 2023 के बीच शिमला के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। इस बढ़ते तापमान के साथ ही शिमला में कम बर्फ गिर रही है।
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